Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के बेगूसराय जिले में पहुंचे थे, जहां उन्होंने करोड़ों रुपये का तोहफा लोगों को दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेघड़ा प्रखंड के ग्राम पंचायत पिढ़ौली में डॉ. अम्बेडकर समग्र सेवा अभियान के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति टोलों में आयोजित विशेष विकास शिविर का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, आधार कार्ड, बास भूमि-वासगीत पर्चा, लेबर कार्ड, कुशल युवा कार्यक्रम/कौशल विकास कार्यक्रम सहित कुल 22 योजनाओं से आच्छादित लाभुकों को प्रमाण पत्र/स्वीकृति पत्र प्रदान किया.
58 करोड़ 32 लाख रुपये का दिया चेक
वहीं, अवलोकन के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना का सांकेतिक चेक, बिहार भवन एवं अन्य तन्न निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (विवाह सहायता) का सांकेतिक चेक, बिहार शताब्दी असंगठित कार्य क्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना, आयुष्मान कार्ड, 1946 जीविका स्वयं सहायता समूहों के 23352 दीदियों के लिए बैंकों से ऋण संबंधी 58 करोड़ 32 लाख रुपये का सांकेतिक चेक आदि लाभुकों को प्रदान किया.
64 करोड़ 19 लाख रुपये का गिफ्ट
खास बात यह रही कि, सीएम नीतीश ने 64 करोड़ 19 लाख रुपये के लागत से 107 विकासात्मक योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया. इनमें 12 करोड़ 37 लाख रुपये की लागत से 102 योजनाओं का उद्घाटन और 51 करोड़ 82 लाख रुपये की लागत से 5 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है. मुख्यमंत्री ने तेघड़ा प्रखंड के पिढ़ौली ग्राम पंचायत में आयोजित ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम में शामिल हुए.
‘महिला संवाद’ कार्यक्रम में हुए शामिल
‘महिला संवाद’ कार्यक्रम में जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करने के दौरान मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, आपके द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा किए गए कार्यों और महत्वपूर्ण निर्णयों से काफी लाभ हुआ है. सरकारी नौकरियों में हम महिलाओं के दिए गए आरक्षण से काफी फायदा हो रहा है. आपके कार्यों एवं महत्वपूर्ण निर्णयों से महिलाएं न सिर्फ काफी आगे बढ़ रही हैं बल्कि ये आत्मनिर्भर भी बन रही हैं.
जीविका दीदीयों से की बात
इस दौरान सीएम नीतीश ने जीविका दीदीयों से बातचीत करते हुए कहा कि, पहले बिहार में स्वयं सहायता समूहों की संख्या काफी कम थी. वर्ष 2006 में हमने विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूहों की संख्या बढ़ानी शुरू की. हमलोगों ने ही स्वयं सहायता समूहों का नाम ‘जीविका’ दिया. इनसे जुड़ी महिलाएं बिहार में जीविका दीदी कहलाती हैं. हमलोगों के इस काम से प्रेरित होकर उस समय की केंद्र सरकार ने इसे अपनाते हुए पूरे देश में लागू किया और इसका नाम ‘आजीविका’ रखा, इसे भूलिएगा मत.
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