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जातीय गणना से पहले जातीय सम्मेलन में जुटी भाजपा, 9 मई को पटना में जुटेंगे इस समाज के लोग



Bihar News: पटना: बिहार में चुनावी माहौल है. सभी पार्टी अपने-अपने चुनावी चक्र को जातीय समीकरण से साधने में जुटी है. जातीय गणना कराने की घोषणा के बाद अब बीजेपी बिहार में जातीय सम्मेलन करने जा रही है. पहले राजपूत और बनिया जाति को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा रही है. भाजपा पटना महाराणा प्रताप की जयंती के मौके पर बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है. 9 मई को होनेवाले कार्यक्रम राणा-भामा नाम दिया गया है. पटना के ज्ञान भवन में राणा भामा सम्मेलन के तहत मनाएगी.

केंद्रीय मंत्री होंगे शामिल

बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा कि जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ेंगे. इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थित रहेगी. उन्होंने बताया कि राणा भाभा सम्मेलन का आगाज सुबह 11.30 से होगा.

यह कार्यक्रम केवल राजपूतों का नहीं

मंत्री नीरज बबलू ने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम किसी विशेष जाति के लिए नहीं है. इस कार्यक्रम में सिर्फ राजपूत जाति ही नहीं, बल्कि सभी जाति और समाज के लोग शामिल होंगे. उन्होंने जानकारी दी कि कार्यक्रम में राज्य के कोने-कोने से लोग आएंगे. महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर होगा. सामाजिक एकता और राष्ट्रभक्ति का संदेश भी मिलेगा. राणा भामा सम्मेलन को सफल बनाने के लिए मंत्री नीरज कुमार जनता से सीधा संवाद भी कर रहे हैं.

जातीय सम्मेलन वोट साधने के लिए नहीं

महाराणा प्रताप के बहाने राजपूत वोट बैंक को साधने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि यह सोच गलत है. बीजेपी वोट बैंक को साधने के लिए जातीय सम्मेलन का आयोजन नहीं करती है. पार्टी की नीति को स्पष्ट करते हुए कि मंत्री ने कहा कि बीजेपी हमेशा से सवर्ण समाज की बात करती है और आगे भी करती रहेगी. लेकिन जयंती महाराणा प्रताप के सम्मान में मनाई जा रही है. मंत्री ने कहा कि बीजेपी जात पात से ऊपर उठकर सभी महापुरुषों की जयंती मनाती है.

तेजस्वी और लालू ले जाएं क्रेडिट

कार्यक्रम के प्रचार के लिए बाढ़ पहुंचे नीरज बबलू ने जातीय गणना के क्रेडिट को लेकर कहा कि लालू-तेजस्वी इसका क्रेडिट ले सकते हैं, लेकिन जनता जानती है कि जातीय गणना के लिए सही मायने में किसने काम किया. लालू यादव दस साल तक केंद्र में रहे. लेकिन, उन्होंने एक बार भी केंद्र से जातीय गणना कराने की मांग नहीं की. बिहार में जातीय गणना हुआ तो वह अकेले तेजस्वी यादव के कारण नहीं हुआ. सभी दलों की सहमति थी. इसलिए वह कुछ कहें, जनता चुनाव में हमलोगों पर ही विश्वास करेगी.

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