Samvidhan Bachao Rally: संविधान बचाओ रैली में जातिगत जनगणना की सच्चाई से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अवगत कराया जायेगा, ताकि आम लोगों तक पूरा सच पहुंच सके. ये बातें झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहीं हैं. उन्होंने कहा कति जातिगत जनगणना की मांग का नरेंद्र मोदी की सरकार लंबे समय से मजाक उड़ाती रही और इसके विरोध में बातें करती रही. दूसरी तरफ, कांग्रेस के निरंतर दबाव और राहुल गांधी के द्वारा मुखर होकर जातिगत जनगणना को सामाजिक न्याय के लिए आवश्यक बताकर लगातार संघर्ष करते रहे. नतीजा यह हुआ है कि केंद्र सरकार को इस मांग को मानने के लिए बाध्य होना पड़़ा. आखिरकार मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की.
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद की गयी थी ये मांगें
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद प्रस्ताव पारित कर कई मांगें की गयीं थीं. इन मांगों में प्रमुख रूप से संविधान के अनुच्छेद 15 (5) को तत्काल लागू करना, ताकि दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय को निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिल सके, इसलिए जातिगत जनगणना में देरी नहीं होनी चाहिए.
जनगणना की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए – कांग्रेस
कांग्रेस ने मांग की कि जनगणना की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए, जिसमें संसद में तत्काल बहस और बजट के प्रावधान हों, जाति जनगणना के आंकड़ों का उपयोग आरक्षण, शिक्षा, रोजगार और कल्याण नीतियों की मजबूती के लिए किया जाये.
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‘संविधान बचाओ रैली में होगी कास्ट सेंसस पर बात’
केशव महतो कमलेश ने कहा कि संविधान बचाओ रैली में जातिगत जनगणना के संदर्भ में इन मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया जायेगा. खासकर अनुच्छेद 15 (5) के अविलंब क्रियान्वयन की मांग को लेकर रैली में आने वाले लोगों को भाजपा के बहुजन विरोधी सोच, जातिगत जनगणना के विरोध और सामाजिक न्याय को दबाने के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया जायेगा, ताकि ग्रामीणों तक यह बात पहुंचे कि किस तरह भाजपा उनके संवैधानिक अधिकारों को लगातार कुचल रही है.
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