बिहार में रामायण सर्किट को मिलेगा नया आयाम, पुनौराधाम से अहिल्या स्थान तक धार्मिक स्थलों का होगा भव्य विकास
Ramayana Circuit: बिहार सरकार ने राज्य में धार्मिक पर्यटन को नई उड़ान देने के लिए रामायण सर्किट से जुड़े सभी स्थलों को विश्वस्तरीय रूप देने की दिशा में बड़ी पहल शुरू कर दी है. धार्मिक महत्व के इन स्थलों का विकास न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी योजनाएं तैयार की गई हैं.
इस दिशा में सबसे प्रमुख योजना सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम को लेकर है, जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है. सरकार ने इसे अयोध्या के राम जन्मभूमि की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय लिया है. इस कार्य के लिए डिजाइन कंसल्टेंट के रूप में मेसर्स डिजाइन एसोसिएट्स इन कॉरपोरेटेड को जिम्मेदारी सौंपी गई है. वर्तमान में मंदिर परिसर में 17 एकड़ भूमि उपलब्ध है, जबकि इसके वृहद विकास के लिए अतिरिक्त 50 एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है.
सीताकुंड स्थल का होगा पुनर्विकास
वहीं, पूर्वी चंपारण जिले के सीताकुंड स्थल के पुनर्विकास को भी मंजूरी मिल चुकी है. इस पवित्र स्थल को श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुविधाजनक और आकर्षक बनाया जाएगा. योजना के तहत यहां प्रवेश द्वार, कैफेटेरिया, जनसुविधाएं, दुकानों का निर्माण और पूरे परिसर का सौंदर्यीकरण किया जाएगा.
पंथपाकर को दिया जाएगा भव्य रूप
सीतामढ़ी जिले का एक और महत्वपूर्ण स्थल पंथपाकर, जहां मान्यता है कि सीता की डोली राम के साथ अयोध्या जाते समय रुकी थी, को भी भव्य रूप दिया जाएगा. यहां मंदिर परिसर का विस्तार, थीमेटिक प्रवेश द्वार, घाटों का निर्माण, तालाब का जीर्णोद्धार और अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा.
फूलहर और अहिल्या स्थान मंदिर परिसर का भी होगा कायाकल्प
धार्मिक स्थलों के इस विकास क्रम में मधुबनी जिले का फूलहर भी शामिल है, जहां राम और सीता का प्रथम मिलन हुआ था. इस स्थान को एक आध्यात्मिक और भव्य स्वरूप देने की योजना बनाई गई है. इसके अलावा, दरभंगा के अहिल्या स्थान मंदिर परिसर का भी कायाकल्प होगा. मंदिर परिसर को सुंदर, स्वच्छ और श्रद्धालुओं के अनुकूल बनाने के लिए विभिन्न संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे.
राज्य सरकार की यह पहल धार्मिक पर्यटन को नई दिशा देगी और इससे न केवल बिहार की आध्यात्मिक विरासत को सहेजा जाएगा, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. रामायण सर्किट का यह विकास प्रदेश को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाने की ओर एक अहम कदम है.
Also Read: बिहार में शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला: अब हेडमास्टर नहीं संभालेंगे ये जिम्मेदारी, 13 मई से पायलट प्रोजेक्ट लागू