Jeevika Didi: बिहार में जीविका दीदियां अब चाय की खेती करेंगी, अपनी फैक्ट्री चलाएंगी और एक नई पहचान के साथ अपनी खुद की चाय कंपनी की मालकिन भी बनेंगी. बिहार सरकार ने इस शानदार योजना पर मुहर लगा दी है. जिससे न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिलेगी बल्कि राज्य के विकास को भी रफ्तार मिलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया. इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने इस योजना से जुड़ी अधिसूचना भी जारी कर दी.
किशनगंज में हुआ चाय बगान का रजिस्ट्रेशन
किशनगंज जिले के पोठिया ब्लॉक के कालिदास किस्मत गांव में स्थित ‘टी-प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग यूनिट’ को बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रमोशन कमिटी को सौंप दिया गया है. इस यूनिट को सरकार ने विशेष योजना के तहत तैयार कराया था और अब अगले 10 सालों तक लीज पर लेकर इसे जीविका दीदियों के द्वारा ऑपरेट करवाया जायेगा.
जीविका दीदियों को दी जा रही ट्रेनिंग
जीविका दीदियों का एक “प्रोड्यूसर ग्रुप” भी तैयार किया गया है. इन दीदियों को चाय की खेती, प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के हर अस्पेक्ट्स की पूरी ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे एक सफल बिजनेसवूमन बन सकें. चाय कंपनी के निदेशक मंडल से लेकर शेयरधारकों तक, सबमें जीविका से जुड़ी महिलाएं ही होंगी. यह पहल न सिर्फ महिलाओं को सेल्फ डिपेंडेंट बनाएगी, बल्कि उन्हें नेतृत्व करने का भी मौका देगी.
किशनगंज की चाय की खेती की खासियत
किशनगंज जिले में चाय की खेती का इतिहास पुराना है. यहां का क्लाइमेट, मिट्टी और बारिश का पैटर्न चाय की खेती के लिए बहुत इफेक्टिव माना जाता हैं. बीते कुछ सालों में चाय की खेती ने यहां की इकॉनमी को नई दिशा दी है. मजदूरों का माइग्रेशन काफी हद तक कम हुआ है, लोग अब अपने गांव में ही रोजगार पाकर खुश हैं. किशनगंज के लोगों के साथ-साथ अब बाहरी राज्यों के लोग भी यहां चाय की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. ऐसे में सरकार का यह कदम बहुत फार रीचिंग साबित हो सकता है.
कितना फायदेमंद है चाय का कारोबार?
यहां चाय की खेती से अच्छा मुनाफा भी होता है. साधारण क्वालिटी की चाय तैयार करने में प्रति किलो लगभग 100 से 150 रुपये तक की लागत आती है, जबकि हाई क्वालिटी वाली चाय में 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक खर्च आता है. किशनगंज में पारंपरिक चाय के साथ-साथ अब ग्रीन टी का भी उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है.
किसान भी अब पारंपरिक खेती छोड़कर चाय उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार को उम्मीद है कि जब जीविका दीदियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी, तो न केवल उनका लाइफ लेवल सुधरेगा, बल्कि बिहार की पहचान भी देशभर में एक नई चाय ब्रांड के तौर पर होगी.
(सहयोगी श्रीति सागर की रिपोर्ट)
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