Bihar News: पटना. बिना डॉक्टर की सलाह के गूगल या यूटयूब से दवा खोज कर सेवन करना जानलेवा साबित हो रहा है. आइजीआइएमएस और एम्स पटना के ओपीडी मे इलाज के लिए आ रहे मरीजों में हर 15 में से एक मरीज ऐसे मिल रहे है, जिन्होंने बीमारी के शुरुआती चरण में बिना परामर्श के दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएं ली. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दोनों संस्थानों के नेफरोलॉजी विभाग ने नेफरोलॉजिस्ट एसोसिएशन से मिलकर संयुक्त स्टडी रिपोर्ट तैयार करने का निर्णय लिया है. इसमें यह पता लगाया जायेगा कि गलत तरीके से दवाओं के सेवन ने किडनी व लिवर को प्रभावित किया है.
बीच में दवा छोड़ना बना रहा दूसरी बीमारियों का खतरा
जिला अस्पतालों और निजी अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले 40 प्रतिशत बुखार और मलेरिया के मरीज भी इलाज शुरू होने से पहले ही 3-4 तरह की दवाएं स्वयं ले चुके होते है. इनमे से कई मामलों में स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि किडनी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ रही है. मलेरिया और टीबी जैसी बीमारियों में दवा को बीच में छोड़ने की प्रवृत्ति भी गंभीर संकट बनती जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, बुखार उतरते ही मलेरिया के मरीज दवा बंद कर देते है, जिससे शरीर में परजीवी जीवित रह जाते हैं और संक्रमण दोबारा फैलता है. टीबी के मरीज अगर दवा अधूरी छोड़ते हैं तो वे एमडीआर टीबी (मल्टी डग रेजिस्टेट टीबी) के शिकार हो सकते है, जिसका इलाज बेहद मुश्किल और लंबा होता है.
बिना परामर्श दवा खाना किडनी के लिए खतरनाक
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेडेट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि कोई भी बीमारी हो, डॉक्टर से परामर्श के बिना दवा का सेवन नहीं करना चाहिए. अधिक एंटीबायोटिक के सेवन से किडनी खराब हो सकती है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो गूगल या यूटयूब से सलाह लेकर दवा खाते है.
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