Bihar Teacher News: पटना हाईकोर्ट ने बिहार के प्राथमिक शिक्षकों के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि सत्र 2013-15 के प्रशिक्षित शिक्षकों को मई 2017 से ही प्रशिक्षित वेतनमान मिलना चाहिए, भले ही प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी हुई हो. न्यायमूर्ति पी. बी. बजनथ्री और न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सरकार को साफ निर्देश दिया है कि शिक्षक अपने ट्रेनिंग की समय पर पूर्ति के बावजूद वेतन लाभ से वंचित नहीं रह सकते.
परिणामों में देरी, लेकिन मेहनत पर नहीं लगेगा विराम
कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया कि शिक्षकों ने तय समयसीमा में ट्रेनिंग तो पूरा कर लिया था, लेकिन परीक्षा परिणाम जारी होने में प्रशासनिक देरी हुई. इसी कारण उन्हें प्रशिक्षित वेतनमान नहीं दिया गया. खंडपीठ ने इसे अन्यायपूर्ण ठहराते हुए कहा कि किसी भी सरकारी प्रक्रिया में देरी का खामियाजा मेहनतकश कर्मचारियों को नहीं भुगतना चाहिए.
‘अपना हक़ मांगने की लड़ाई थी, न्याय मिला’ — वकील
पीड़ित शिक्षकों की ओर से पैरवी कर रहीं अधिवक्ता डॉ. शुचि भारती ने कोर्ट के निर्णय पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, “यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं थी, यह मेहनतकश शिक्षकों के अधिकार की लड़ाई थी. अब जाकर उन्हें उनका वास्तविक हक़ मिला है.”
सिर्फ याचिकाकर्ता ही नहीं, हजारों शिक्षकों को होगा लाभ
इस फैसले का लाभ सिर्फ उन शिक्षकों को नहीं मिलेगा जिन्होंने याचिका दायर की थी, बल्कि राज्यभर में समान परिस्थितियों में कार्यरत तमाम प्रशिक्षित शिक्षकों पर भी यह आदेश समान रूप से लागू होगा. इससे न केवल वेतन में सुधार होगा, बल्कि सेवा लाभों की समानता भी सुनिश्चित होगी.
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अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अपनी ही प्रणाली की त्रुटियों का हवाला देकर किसी कर्मचारी के अधिकारों से इनकार नहीं कर सकती. न्यायालय ने दो टूक शब्दों में कहा—“कोई व्यक्ति अपनी गलती का लाभ नहीं उठा सकता, और किसी कर्मचारी को उसके वैध हक़ से वंचित नहीं किया जा सकता.”