मधुबनी.
सदर अस्पताल को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नयी पहचान मिली है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज से पोस्ट-एमबीबीएस डिप्लोमा यानी डीएनबी कोर्स की मान्यता मिली है. इससे जिले में न सिर्फ चिकित्सा शिक्षा को विस्तार मिलेगा बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं को भी नया आयाम मिलेगा. मान्यता मिलने से बाल रोग पेडियाट्रिक-डीसीएच विभाग में प्रत्येक वर्ष तीन प्रशिक्षु डॉक्टरों को प्रवेश मिलेगा. जो यहां रहकर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे. इसके तहत सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेकानंद पाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके झा ने प्रशिक्षु डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. पांच वर्षीय सत्र 2025 से 2029 तक संचालित होगा.
डीएनबी की मान्यता जिले की महत्वपूर्ण उपलब्धि
सदर अस्पताल को एनबीइएमएस से डीएनबी कोर्स की मान्यता प्राप्त होने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार कहा कि यह जिले के लिये गर्व की बात है. डीएनबी कोर्स की मान्यता से अब मेडिकल स्नातकों को जिले में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा. इससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार होगा. इसे जिले के स्वास्थ्य विभाग के लिये बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे जिले में चिकित्सा सेवा व शिक्षा का विस्तार होगा. सदर अस्पताल में जिलावासियों को शिशु स्वास्थ्य में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा उपलब्ध होगी.
पेडियाट्रिक विभाग में तीन प्रशिक्षुओं को हर वर्ष मिलेगा प्रवेश
सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि एनबीईएमएस से प्राप्त मान्यता पत्र के अनुसार सदर अस्पताल के शिशु रोग विभाग में तीन प्रशिक्षित फैकल्टी डॉक्टर को अनुमोदित किया गया है. प्रशिक्षुओं का चयन नीट-पीजी परीक्षा के माध्यम से होगा. उन्होंने कहा कि डीएनबी की मान्यता मिलने से जिले की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि डीएनबी के तहत प्रशिक्षुओं को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण उपलब्ध कराना व एनबीईएमएस के सभी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कराना जिला स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में शामिल है. सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल व स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम के प्रति आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षुओं को बेहतर प्रशिक्षण व एक प्रेरणादायक माहौल उपलब्ध कराने के लिये अस्पताल प्रबंधन हमेशा प्रयासरत रहेगा.
डीएनबी से लाभ
अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टर उपलब्ध होगा. विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पतालों को इसका काफी फायदा होगा. अध्ययनरत चिकित्सक एमबीबीएस डिग्रीधारी होंगे. जो अस्पताल में अपनी सेवा देंगे. इससे मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सुविधा उपलब्ध होगी. यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले चिकित्सक नीट पास कर डीएनबी पाठ्यक्रम में नामांकन करा सकेंगे. डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने के लिए क्लास-रूम, लाइब्रेरी सहित अन्य सुविधाओं के लिए निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई है.
क्या है डीएनबी
डीएनबी में डिग्री तीन वर्ष का जबकि डिप्लोमा दो वर्ष का होता है. इसके शुरू होने से बिहार व बिहार से बाहर एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र सदर अस्पताल में पीजी की पढ़ाई करने आएंगे. उन्हें पढ़ाई के साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता दिया जाएगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है