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झारखंड के पेयजल विभाग में हुए घोटाले का ये है मास्टर माइंड, ऐसे दिया जाता था खेल को अंजाम



रांची, आनंद मोहन : झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में हुए घोटाले में नये नये खुलासे हो रहे हैं. जांच में पता चला है कि घोटाले को अंजाम देने में बड़ा रैकेट सक्रिय रहा. सरकार के अनुसंधान में ये बातें सामने आयी है. पेयजल और कोषगार के एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं. 20 करोड़ की अवैध निकासी में रोकड़पाल संतोष कुमार मास्टर माइंड था. फर्जी निकासी का मोहरा था. पेयजल विभाग और कोषागार की सांठगांठ से इस खेल को अंजाम दिया गया है. इन अधिकारियों और कर्मियों ने मिलकर सिस्टम से से खिलवाड़ किया.

अवैध निकासी का पैसा भी संतोष के खाते में होता था जमा

जांच में यह भी पता चला है कि पे-आइडी में डीडीओ के रूप में कार्यपालक अभियंता का नाम अंकित होता था और मोबाइल नंबर रोकड़पाल संतोष कुमार का अंकित होता था. अवैध निकासी का पैसा भी संतोष के खाते में जमा होता और फिर उसकी बंदरबांट की जाती थी. इस घोटाले में लेखापाल अर्चना कुमारी, शैलेंद्र सिंह और दीपक कुमार यादव के भी नाम जांच में सामने आये हैं. स्वर्णरेखा शीर्ष कार्यप्रमंडल में डीडीओ कोड आरएनसीडब्लूएसएस001 और आरएनसीडब्लूएसएस0017 से अवैध निकासी का मामला सामने आया है.

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अंतर विभागीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

जानकारी के अनुसार, अंतर विभागीय जांच कमेटी ने केवल एक स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल की जांच करायी, तो चौंकाने वाला मामला सामने आया है. कमेटी ने पाया कि पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह, विनोद कमार, राधेश्याम रवि और चंद्रशेखर अलग-अलग अवधि में विभाग के इस प्रमंडल में पदस्थापित थे. कार्यपालक अभियंता डीडीओ यानी निकासी और व्ययन पदाधिकारी के रूप में भी जिम्मेवारी निभा रहे थे. पेयजल विभाग के अनिल डाहंगा, रंजन कुमार सिंह और परमानंद कुमार की प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी के रूप में भूमिका संदिग्ध रही.

ट्रेजरी ऑफिसर ने भी नियमावली की अनदेखी की

सरकार की जांच में यह भी उजागर हुआ है कि ट्रेजरी ऑफिसर ने भी वित्तीय नियमावली को नजरअंदाज किया. घोटाले में इन कोषागार पदाधिकारियों की भूमिका भी सामने आयी है. कोषागार पदाधिकारी मनोज कुमार, डॉ मनोज कुमार, सुनील कुमार सिन्हा और सारिका भगत की भूमिका संदेह के घेरे में बतायी गयी है.

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