मध्य प्रदेश में कर्नाटक जैसे हालात, फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
भोपाल। मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक ने कर्नाटक विधानसभा में करीब एक महीने तक चले घटनाक्रम की याद ताजा करा दी है। कर्नाटक की तरह ही मध्य प्रदेश में भी फ्लोर टेस्ट का मामला लंबा खिंच रहा है। राज्यपाल के बार-बार निर्देशों के बाद भी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार नहीं है।
कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट से पहले चार दिन तक विधानसभा में चर्चा हुई थी। यहां भी मुख्यमंत्री कमलनाथ यह बोल चुके हैं कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाए, फिर फ्लोर टेस्ट करा लें। उसके पहले बजट भी पेश होना है।
मध्यप्रदेश की तरह कर्नाटक में भी विधायकों के इस्तीफे के बाद सियासी माहौल गरमाया था और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हुआ था। वहां इस्तीफों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने स्पीकर को इन पर जल्द फैसला लेने के निर्देश दिए। मप्र में फ्लोर टेस्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जहां मंगलवार को इस पर सुनवाई होगी।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार मैदान छोड़कर भाग गई, सरकार अल्पमत में है बहुमत खो चुकी है। कोरोना वायरस का बहाना कर फ्लोर टेस्ट टाल दिया गया, लेकिन कमलनाथ सरकार को अब कोरोना भी नहीं बचा सकता। राज्यपाल टंडन ने सभी विधायकों को आश्वस्त किया है कि उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा होगी। हम लोग सुप्रीम कोर्ट में भी गए हैं।