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सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के लिए न्यूनतम अनुभव होना चाहिए, CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया सुझाव

नई दिल्ली,। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गुरुवार को प्रस्ताव रखा कि सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाले वकीलों के पास न्यूनतम अनुभव का पैमाना होना चाहिए। पीठ ने यह राय उस समय व्यक्त की जब उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने शीघ्र सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध कराने में वकीलों के समक्ष आ रही कठिनाइयों का उल्लेख किया। दवे ने कहा कि मामलों के उल्लेख के लिए नियुक्त अधिकारी के समक्ष शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने में बार परेशानी का सामना कर रही है।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि कई बार वकील मामले को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की ‘तात्कालिकता’ के बारे में अधिकारी को संतुष्ट करने मे असमर्थ रहते हैं। हम इस तरह से अपना दिन शुरू नहीं करना चाहते। बार के दिमाग में तात्कालिकता का विचार भिन्न होता है। मुख्य न्यायाधीश लगातार कह रहे हैं कि शीघ्र सुनवाई के लिए मामले सूचीबद्ध करने का उल्लेख उनके समक्ष नहीं बल्कि इसके लिए नियुक्त अधिकारी के समक्ष किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि एक महिला अधिवक्ता 2017 में दायर की याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध कर रही हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह बार काउंसिल से कह रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय में युवा वकीलों के पेश होने के बारे में न्यूनतम अनुभव का एक पैमाना तय करे। इस पर दवे ने कहा कि मैं इस सुझाव से पूरी तरह सहमत हूं कि इस न्यायालय में पेश होने के लिए कम-से-कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए। जस्टिस बीआर गवई और सूर्य कांत पीठ के अन्य सदस्य थे।