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Sabarimala Temple Case: सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ, समीक्षा आदेश के सवालों पर ही करेंगे सुनवाई

नई दिल्‍ली, । SC Sabarimala Temple केरल के सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को सुनवाई की। संविधान पीठ ने साफ कर दिया कि वह 14 नवंबर को दिए गए समीक्षा आदेश के सवालों पर ही सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा कि हम सबरीमला मामले की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम पांच जजों की पीठ द्वारा भेजे गए मसलों पर विचार करने जा रहे हैं।  

अदालत ने कहा कि हम सबसे पहले समीक्षा आदेश में विचार के लिए भेजे गए सवालों को रिफ्रेम और स्पष्ट करेंगे। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल 17 जनवरी को अधिवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी, सीएस वैद्यनाथन, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और इंदिरा जयसिंह के साथ बैठक करेंगे। इसी बैठक में सवालों को रिफ्रेम किया जाएगा। बैठक में यह भी तय होगा कि कौन सा वकील किस मसले पर बहस करेगा और किसको कितना वक्‍त मिलेगा। बाकी पक्षकार दो हफ्ते के भीतर लिखित दलीलें देंगे। फ‍िर तीन हफ्ते बाद मामले की सुनवाई होगी।

बता दें कि 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल से 50 साल के उम्र की महिलाओं को सबरीमाला के भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी। यही नहीं मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को असंवैधानिक बताया था। इसके बाद कई याचिकाएं इस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई थीं। पिछले साल 14 नवंबर को दूसरी पांच जजों की बेंच ने मामला सात जजों की बेंच तो सौंप दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को कहा था कि सबरीमाला मंदिर मसले पर साल 2018 का आदेश अंतिम नहीं था। बाद में चीफ जस्टिस ने सभी संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए नौ जजों की बेंच का गठन कर दिया था।

पिछले साल 14 नवंबर को तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा था कि पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल सबरीमाला मंदिर तक सीमित नहीं है। इसमें मस्जिदों में महिलाओं का प्रवेश भी शामिल है। हालांकि अदालत ने अपने 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगाई। अदालत के रुख से साफ है कि धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के मौलिक अधिकार के बीच सामंजस्य पर विचार करेगी।