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Assam NRC: जिन माता-पिता को नागरिकता मिली है उनके बच्चे डिटेंसन सेंटर नहीं भेजे जाएंगे

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सोमवार को असम एनआरसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जिन बच्चों के माता या पिता को फाइनल एनआरसी में नागरिकता मिली है उनके बच्चे उनसे अलग करके असम में डिटेंसन सेंटर नहीं भेजे जाएंगे। कोर्ट ने वेणुगोपाल का बयान आदेश में दर्ज करते हुए ऐसे बच्चों को एनआरसी से बाहर करने का आरोप लगाने वाली अर्जी पर सरकार से जवाब मांगा है।

जिनके माता-पिता फाइनल एनआरसी में शामिल हैं उनके बच्चों को बाहर कर दिया गया

ये आदेश मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने असम एनआरसी मामले में सुनवाई के दौरान दिये। इससे पहले अर्जीकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट ने आरोप लगाया कि कुल 60 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता को फाइनल एनआरसी में शामिल किया गया है, लेकिन उनके बच्चों को उससे बाहर कर दिया गया है।

उन बच्चों को माता-पिता से अलग करके डिटेंसन सेंटर भेजा जा सकता है- भट्ट

भट्ट ने आशंका जताई की उन बच्चों को माता-पिता से अलग करके असम में डिटेंसन सेंटर भेजा जा सकता है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जब तक इस अर्जी पर निर्णय लंबित है तब तक ऐसे किसी भी बच्चे को माता पिता से अलग करके डिटेंसन सेंटर नहीं भेजा जाएगा जिनके माता पिता को एनआरसी के जरिए नागरिकता मिली हुई है। कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में मामले में जवाब देने को कहा है। इस मामले में चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

इसके अलावा एक एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने असम में एनआरसी के नये नियुक्त स्टेट कोआर्डिनेटर हितेष देव शर्मा को हटाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नवनियुक्त राज्य कोआर्डिनेटर ने बंगाली मुस्लिम और रोहिंग्या पर टिप्पणी की थी। तभी असम सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि असम में एनआरसी का काम पूरा हो चुका है और अब उनकी जरूरत नहीं रह गयी है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते। कोर्ट ने असम सरकार से कहा कि आपको इस बारे में स्पष्टीकरण देना होगा।