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Happy New Year 2020- नए साल में समाज में बढ़े सद्भावना, चरमोत्कर्ष पर पहुंचे देश

नए साल का स्वागत है, इस आशा के साथ कि समाज में सद्भावना और समृद्धि बढ़े, हर हाथ को रोजगार मिले, हर व्यक्ति शिक्षित व स्वस्थ हो और देश अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचे। हमारे देश में इतनी प्रतिभा और संभावना है कि हम इसे न सिर्फ हासिल करें बल्कि तय समय सीमा में हासिल करें। पर इसकी एक बड़ी शर्त है कि हम हर हाल में एकजुट हों, खुद से पहले देश की सोचें और खासकर राजनीति को अपनी व्यक्तिगत सोच पर हावी न होने दें।

2019 में बड़े फैसले हुए, बड़ी पहल हुई

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि बीते हुए साल में बड़ी-बड़ी घटनाएं हुईं, बड़े फैसले हुए, बड़ी पहल हुई और हां, जनता ने दशकों बाद अभूतपूर्व जनादेश देकर यह जताया कि सरकार उनकी अपेक्षाओं के अनुसार आगे बढ़ रही है, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर राजनीतिक दलों ने ऐसा माहौल बनाया, जिसमें ऐसा महसूस कराने की कोशिश हुई कि भारत आगे नहीं बढ़ रहा है, बल्कि पीछे की ओर खिसक रहा है। यह राजनीतिक छाया है, जिससे हमें अपनी सोच को बचाना होगा।

 

2019 बालाकोट हमले के लिए याद किया जाएगा

2019 में राजनीतिक तौर पर सबसे बड़ी घटना लोकसभा चुनाव नतीजा ही था, जिसने यह स्थापित किया कि सरकारों के खिलाफ केवल सत्ताविरोधी लहर ही नहीं सत्ता के पक्ष में भी लहर होती है। यह तब परिलक्षित होता है, जब सरकारें महात्मा गांधी की सोच के अनुसार अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंचती है और इसका भी ध्यान रखती है कि निम्न से उच्च वर्ग तक के विकास का संतुलन बना रहे। 2014-19 के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने जो कुछ किया था, जनता ने उसका रिपोर्ट दिया। हालांकि मोदी सरकार के आलोचकों ने इसका पूरा श्रेय केवल बालाकोट हमले को दिया। जो भी हो बालाकोट ने यह जरूर तय कर दिया कि भारत सोते रहने वाला देश नहीं है। भारत धैर्य रखना जानता है, लेकिन कायर नहीं है और इसीलिए आतंकवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ सकता है। यह भारत के इतिहास को बदलने वाली घटना थी। 2019 इसके लिए याद किया जाता रहेगा।