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कार्तिक पूर्णिमा- गुरुपर्व पर मंदिरों और गुरुद्वारे में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, ओडिशा में बोइता बंदना का आयोजन


Kartik Purnima : देश भर में कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पर्व की धूम है और इस मौके पर भक्तगण नदी में स्नान करके मंदिरों में पूजा कर रहे हैं, वहीं गुरु पर्व के अवसर पर गुरुद्वारे में विशेष अरदास हो रही है. कार्तिक पूर्णिमा और गुरुपर्व के कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें भक्तों की आस्था साफ नजर आ रही है.

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में विशेष भस्म आरती

कार्तिका पूर्णिमा के मौके पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में विशेष भस्म आरती की गई. इस मौके पर श्रद्धालुओं के साथ एक्टर रवि मोहन भी मंदिर में उपस्थित थे. वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज और देश के कई अन्य शहरों में भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने विशेष स्नान और पूजा की.

गुरुद्वारों में विशेष अरदास

गुरु नानक जयंती के अवसर पर सिख श्रद्धालु सुबह से ही गुरुद्वारे पहुंच रहे हैं और विशेष अरदास में शिरकत कर रहे हैं. इस मौके पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा हरमंदिर साहिब अमृतसर पहुंचे और देश और मानव जाति के कल्याण के लिए अरदास किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे गुरुओं ने जाति प्रथा का अंत किया था, जो भी गुरुओं को मानता है, वह जाति व्यवस्था में यकीन नहीं करता है. कुछेक लोग पंजाब में अशांति फैलाना चाहते हैं इसलिए वे लोग जाति व्यवस्था की बात करते हैं.

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ओडिशा में बोइता बंदना का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ओडिशा में बोइता बंदना का आयोजन किया गया. यह ओडिशा की बहुत प्राचीन परंपरा है. इस परंपरा के बारे में बात करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा ने कहा कि कार्तिक का महीना हम ओडिशा वालों के लिए बहुत ही खास है. कार्तिक मास के अंतिम पांच दिन तो हम बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं. अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हमारे यहां बोइता बंदना का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के पीछे मनोकामना की पूर्ति छिपी है. उन्होंने यह भी बताया कि जिस वक्त लोग नाव बनाने के बारे में सोच रहे थे, हमारे ओडिशा के लोग अपनी आत्मनिर्भरता और स्वदेशी तकनीकों की मदद से नाव बनाकर कई दक्षिण एशियाई देशों के साथ व्यापार कर रहे थे. कहा तो यह भी जाता है कि वे अपनी नाव से अफ्रीका तक जाते थे. एक भक्त ने बताया कि इस अवसर पर श्रद्धालु छोटे -बड़े नाव का विसर्जन नदी-तालाबों में करते हैं.

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