Agriculture: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मकसद प्राकृतिक आपदा के दौरान किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई करने के लिए बनाया गया. लेकिन अक्सर ऐसी खबरें आती रहती है कि किसानों को नुकसान के नाम पर बीमा कंपनियां एक, दो, तीन, पांच या बेहद कम रुपये का भुगतान करती है. ऐसी खबरें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर किसानों के बीच अविश्वास पैदा कर रही है. लेकिन अब सरकार ने बीमा कंपनियों की मनमानी पर सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है.
सोमवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित किसानों की परेशानियां दूर करने और क्लेम के बारे में उनकी शिकायतों के समाधान के लिए उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने बैठक के दौरान महाराष्ट्र के कुछ किसानों से वर्चुअली जुड़कर उनकी समस्याओं को सुना और अधिकारियों से इस बारे में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.
उन्होंने कहा कि किसानों को फसल बर्बादी के एवज में मामूली रकम देना मजाक है, सरकार ऐसा नहीं होने देगी. इस बाबत विस्तृत जांच के आदेश देते हुए बीमा कंपनियों एवं अफसरों को सख्त निर्देश दिया कि किसानों को क्लेम जल्दी निपटारा हो और नुकसान का उचित मुआवजा देने का काम होना चाहिए. नुकसान के आकलन के लिए सटीक प्रणाली का प्रयोग हो.
बीमा कंपनियों की मनमानी पर लगेगी रोक
कई राज्यों के किसानों द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार के पास लगातार शिकायत मिल रही थी. हाल में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों को फसल के एवज में मामूली रकम मिलने की बात सामने आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और सभी बीमा कंपनियों के उच्च अधिकारियों को तलब कर मौजूदा हालात की समीक्षा की. बैठक में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के किसानों के हित के लिए बनायी गयी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को फसलों के प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने की स्थिति में सुरक्षा कवच मुहैया कराने के लिए योजना लागू की है. लेकिन कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिससे इस योजना के लेकर भ्रम पैदा हो रहा है. केंद्रीय मंत्री ने किसानों की शिकायतों पर फील्ड में जाकर पूरी जांच करने का आदेश दिया ताकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावे का सही भुगतान हो सके. बैठक में यह बात सामने आयी कि कुछ राज्य अपने हिस्से की सब्सिडी की राशि जमा करने में देरी करते हैं. उन्होंने किसान हित में राज्यों से समय पर राशि जमा करने को कहा.