Health: देश में पिछले 11 साल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में व्यापक इजाफा हुआ है और यह 387 से बढ़कर 819 हो गयी है. वहीं ग्रेजुएट मेडिकल सीट की संख्या 51000 से बढ़कर 129000 और पोस्ट ग्रेजुएट सीट की संख्या 31000 से बढ़कर 78000 हो गयी है. आने वाले पांच साल में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर 75000 अतिरिक्त सीटों बढ़ने की संभावना है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली के 50 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.
नड्डा ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दिल्ली एम्स ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. चिकित्सा शिक्षा, अत्याधुनिक शोध और रोगी देखभाल के क्षेत्र में सराहनीय काम किया है. पिछले दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सदी के अंत में जहां देश में केवल एक एम्स था, वहीं मौजूदा समय में देश में 23 एम्स हैं.
स्वास्थ्य सेवा की पहुंच का हुआ है विस्तार
नड्डा ने कहा कि भारत में चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा और रोगी देखभाल को आगे बढ़ाने में एम्स का अहम योगदान रहा है. युवा डॉक्टरों को सहानुभूति के साथ सेवा करने, नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और देश की उभरती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इनोवेशन का प्रयोग करना चाहिए. भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों के अनुसार मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 130 से घटकर 88 और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 39 से घटकर 27 हो गया है. पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और राष्ट्रीय मृत्यु दर (एनएमआर) में भी 42 फीसदी और 39 फीसदी की कमी आयी है और यह वैश्विक औसत से अधिक है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी की कमी आयी है.
इस मौके पर नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर वीके पॉल ने कहा कि जिस समुदाय ने हमें पोषित किया है, उसे कुछ वापस देना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है. शिक्षा जगत में शामिल होने, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की अगली पीढ़ी को पढ़ाने, मार्गदर्शन करने और प्रेरित करने पर विचार करने का आह्वान किया ताकि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. दीक्षांत समारोह के दौरान 326 ग्रेजुएट, 50 पीएचडी स्कॉलर, 95 डीएम, एमसीएच विशेषज्ञ, 69 एमडी, 15 एमएस, 4 एमडीएस, 45 एमएससी, 30 एमएससी (नर्सिंग) और 18 एम बायोटेक को डिग्री दी गयी. इसके अतिरिक्त एम्स में उनके अनुकरणीय योगदान और समर्पित सेवा के लिए सात डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया.