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चुनाव पूर्व विज्ञापन को लेकर दिशा निर्देश जारी


Election Commission: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी को समान मौका मुहैया कराने के लिए चुनाव आयोग हर स्तर पर कदम उठा रहा है. इस कड़ी में आयोग की ओर से प्रचार के लिए सभी दलों को मौका मुहैया कराने के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है. दिशा निर्देश के तहत हर पार्टी, उम्मीदवार और चुनाव से जुड़े संगठन और व्यक्ति को मतदान के दिन और मतदान से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले आयोग की ओर से नियुक्त राज्य, जिला स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति द्वारा मंजूरी लेनी होगी. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह प्रतिबंध पहले चरण के लिए 5 और 6 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 10 और 11 नवंबर को लागू होंगे. 

नियम के तहत प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पूर्व-प्रमाणन के आवेदकों को विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तिथि से दो दिन पहले मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति में आवेदन करना होगा. समय पर पूर्व-प्रमाणन की सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य, जिला स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति को ऐसे विज्ञापनों की जांच और पूर्व-प्रमाणन के लिए सक्रिय किया गया है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विज्ञापन प्रकाशन पर फैसला जल्दी से हो सके. 

पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव के लिए लिया गया फैसला

चुनाव आयोग की कोशिश राज्य में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी उम्मीदवारों को समान मौका मुहैया कराने की है. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए कई स्तर पर कदम उठाए गए हैं. चुनाव में धनबल और बाहुबल पर लगाम लगाने के लिए आयोग की ओर से खर्च, कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पहले ही हर विधानसभा में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है. 

चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20 बी के तहत निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है. इस अधिकार का प्रयोग करते हुए आयोग की ओर से पहले चरण के चुनाव के लिए 121 सामान्य पर्यवेक्षकों और 18 पुलिस पर्यवेक्षकों और दूसरे चरण के लिए 20 पुलिस पर्यवेक्षकों के और 122 सामान्य पर्यवेक्षकों को तैनात किया है. पर्यवेक्षकों की नियुक्ति का मकसद चुनाव आयोग द्वारा तय दिशा निर्देश का सख्ती से पालन कराना है और प्रशासन के दुरुपयोग को रोकना है.