PM Modi Manipur Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में दो भाषण दिए. दोनों भाषण करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर दो समुदायों के इलाकों में हुए. दोनों भाषणों का मुख्य संदेश यह था कि मणिपुर और खासकर यहां के युवाओं के सपने हिंसा की अंधेरी छाया में दबने नहीं चाहिए. परियोजनाओं का उद्घाटन और घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि हर परियोजना मणिपुर की शांति और तरक्की की राह में अहम भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा कि भविष्य मणिपुर और पूरे उत्तर-पूर्व का है, लेकिन हिंसा और आपसी कलह राज्य के विकास में बाधा है.
दोनों समुदायों को साथ मिलकर काम करना होगा
प्रधानमंत्री ने कुकी-जो और मैतेई, दोनों समुदायों को साथ मिलकर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी. उन्होंने कहा, “मणिपुर संभावनाओं की धरती है. विकास की राह पर हमें कोई गलती नहीं करनी चाहिए. मणिपुर में क्षमता की कमी नहीं है, जरूरत है तो लगातार बातचीत और समझ बढ़ाने की. हमें पहाड़ और घाटी के बीच मेलजोल का मजबूत पुल बनाना होगा.” यहां कुकी-जो समुदाय ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जबकि मैतेई समुदाय घाटी में बहुसंख्यक है.
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साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने माना कि केंद्र सरकार की भी इसमें अहम भूमिका है. उन्होंने बताया कि उनकी सरकार पहाड़ और घाटी, दोनों के अलग-अलग समूहों से बातचीत कर रही है. पीएम ने कहा, “सरकार मणिपुर में हालात सामान्य करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है.” उन्होंने कहा, “मैं सभी संगठनों से अपील करता हूं कि वे शांति के रास्ते पर चलें और अपने सपनों को पूरा करें. अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित बनाएं.”
मणिपुर के युवा तिरंगे की शान के लिए लड़ते हैं
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि जिस तरह दक्षिण और पश्चिम भारत ने देश की तरक्की से लाभ उठाया है, अब उत्तर-पूर्व के लिए भी इसका फायदा उठाने का समय है. उन्होंने कहा, “इंफाल संभावनाओं से भरा शहर है. मैं इसे ऐसा शहर मानता हूं, जो युवाओं के सपनों को पूरा करेगा और देश की प्रगति में योगदान देगा.” प्रधानमंत्री का खास ध्यान युवाओं पर था. उन्होंने मणिपुर की खेल प्रतिभा को उजागर करते हुए कहा, “मणिपुर के खिलाड़ियों के बिना भारत का सपना अधूरा है. यहां के युवा तिरंगे की शान के लिए लड़ते हैं. हम इस पहचान को हिंसा की अंधेरी छाया में दबने नहीं दे सकते. आज जब भारत दुनिया में खेल शक्ति बन रहा है, तब मणिपुर के युवाओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है.”
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प्रधानमंत्री के दोनों भाषणों का मुख्य संदेश दोनों समुदायों के बीच की दूरी कम करना था, लेकिन समुदाय के नेताओं से हुई बातचीत से साफ हुआ कि आगे चुनौतियाँ अभी भी बड़ी हैं. चुराचांदपुर में कुकी-जो समुदाय ने प्रधानमंत्री की यात्रा को अहम कदम माना. यह पहली बार है जब 1988 में राजीव गांधी के बाद कोई प्रधानमंत्री इस जिले में गया. समुदाय इसे अपने केंद्रशासित प्रदेश (Union Territory) की मांग की दिशा में महत्वपूर्ण मान रहा है.