Agriculture: देश में अभी भी अधिकांश किसान खरीफ फसलों की बुवाई के लिए बारिश पर निर्भर है और कृषि उनकी आय एवं आजीविका का प्रमुख साधन है. अगर किसानों को समय से पहले मानसून की सटीक जानकारी मिल जाए तो वे यह फैसला लेने में सक्षम होंगे कि कौन सी फसल को लगाना सही होगा. साथ ही वे मानसून के हिसाब से खेती करने में सक्षम होंगे. हालांकि समय के साथ मौसम की सटीक भविष्यवाणी हो रही है, लेकिन आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) के प्रयोग से मौसम का और सटीक अनुमान लगाना संभव होगा.
किसानों के हित को देखते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एआई के प्रयोग को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है और मंत्रालय की ओर से किसानों को एसएमएस के जरिये मानसून संबंधी जानकारी मुहैया करायी जा रही है. इस साल एम-किसान के तहत देश के 13 राज्यों के लगभग 3.8 करोड़ किसानों को मानसून संबंधी जानकारी एसएमएस के जरिये मुहैया कराने का काम किया गया है. एआई के प्रयोग से किसानों को मानसून संबंधी जानकारी 4 हफ्ते पहले देने का काम किया गया. समय से पहले बारिश की जानकारी मिलने से किसान खेती संबंधी फैसला लेने में सक्षम हुए और उन्हें बारिश के कारण नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा.
तकनीक के प्रयोग से मानसून संबंधी जानकारी का सटीक आकलन लगाना हुआ संभव
देश में हर साल बारिश के कारण किसानों को व्यापक नुकसान होता रहा है. किसानों को बारिश के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कृषि मंत्रालय तकनीक के प्रयोग को लगातार बढ़ावा देने का काम करता रहा. हाल ही में कृषि भवन में आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में मानसून के सटीक आकलन के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया. इस बैठक में मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव प्रमोद कुमार महिंद्रा, संयुक्त सचिव संजय कुमार अग्रवाल, शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल क्रेमर और अन्य अधिकारी शामिल हुए.
बैठक में मानसून के सटीक आकलन के लिए एआई तकनीक के उपयोग पर विस्तृत चर्चा की गयी. इस साल भारत में समय से पहले मानसून का आगाज हुआ, लेकिन बीच में मानसून कुछ समय के लिए रुक गया. एआई तकनीक मानसून के हर गतिविधि की सटीक जानकारी देने में सक्षम है. वर्ष 2022 से मानसून के आकलन में एआई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और समय के साथ यह तकनीक और बेहतर हो रही है. अब मानसून का सटीक अनुमान लगाना संभव हो सका है.