internal Security: देश के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार की ओर से वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. इस कार्यक्रम का मकसद देश के सीमावर्ती इलाके के लोगों को बुनियादी सुविधा जैसे सड़क, बिजली, पानी, संचार और अन्य तरह की सुविधा मुहैया कराना है. इस योजना के तहत देश के सभी सीमांत गांव को सभी सुविधाओं से युक्त बनाने, सीमांत गांवों में रहने वाले हर नागरिक को भारत सरकार और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से लैस करके उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य तय किया गया. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए चिह्नित किए गए देश के पहले गांव कुछ साल बाद हमारे देश और उनकी सीमाओं की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध होंगे. इस प्रोग्राम के जरिये बहु आयामी और बहु क्षेत्रीय विकास की कल्पना के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन, पर्यटन के माध्यम से रोजगार सृजन और हर तरह से गांव के जीवन को वाइब्रेंट बनाने के प्रयास किया गया है.
मंगलवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम कार्यशाला का उद्घाटन किया और वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का लोगो लॉन्च करते हुए कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का विचार तीन पहलुओं पर आधारित है. इसका मकसद सीमांत गांवों से पलायन रोकना, सीमांत गांवों के हर नागरिक को केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मुहैया कराना और चिन्हित गांवों को सीमा और देश की सुरक्षा के लिए सशक्त बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के विचार को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला लिया.
सीमावर्ती क्षेत्र को देश की मुख्यधारा से जोड़ना है मकसद
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों, वाइब्रेंट विलेज में शामिल गांवों के जिला कलेक्टरों और सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए समग्र जिम्मेदारी सौंपी गयी. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के इतर क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदमों से आगे बढ़कर और उठाए गए कदम की बाबत विचार करने को कहा. अमित शाह ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत सैचुरेशन, पर्यटन के लिए आवश्यक जनसुविधाओं को बढ़ावा और सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित कर रोजगार सृजन जैसे कदम उठाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अगर होमस्टे जैसे प्रयोगों को सीमावर्ती गांवों तक ले जाने का काम हो तो और इनमें बुकिंग के लिए राज्यों के पर्यटन विभाग उचित व्यवस्था करें तो सीमांत गांवों के हर घर में रोजगार उपलब्ध होगा. ग्रामीण विकास विभाग इन गांवों का गौरव स्थापित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है और इसमें जिला कलेक्टरों की अहम भूमिका है. अगर गांवों में सभी सुविधाएं और रोजगार हों तो स्थानीय लोगों में गांव छोड़ कर जाने की इच्छा कभी नहीं होगी. इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, सीमा प्रबंधन सचिव, वाइब्रेंट विलेज के पहले और दूसरे चरण में शामिल सीमावर्ती राज्यों के मुख्य सचिव, सीमा की रक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के महानिदेशक और संबंधित जिलों के जिलाधिकारी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.