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30 दिनों बाद इतिहास बन जाएगा वायुसेना का अपराजित योद्धा, विदाई से पहले वायुसेना प्रमुख ने भरी उड़ान


Mig-21: कभी जिसकी गूंज से दुश्मनों से सीने खौफ से सिकुड़ जाते थे और माथे पसीने से भीग जाते थे, भारतीय वायुसेना का वो गौरवशाली योद्धा अब विदाई की दहलीज पर खड़ा है. भारतीय वायुसेना के लिए मिग-21 एक ऐसा नाम है, जिसने न केवल आसमान में अपनी गर्जना से दुश्मनों को भयभीत किया, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.  1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21  देश का पहला सुपरसोनिक जेट था. इस फाइटर जेट ने 62 वर्षों तक अपने शौर्य और सेवा से कई इतिहास रचे. इसकी भव्य और वीरता की गाथा सेना के जवानों से लेकर दुश्मनों की भी जुबां रहा है. 26 सितंबर 2025 यानी आज से ठीक एक महीने बाद यह विमान इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा.  चंडीगढ़ एयरबेस पर 19 सितंबर को नंबर 23 स्क्वाड्रन पैंथर्स की ओर से इसका विदाई समारोह आयोजित होगा. इसके गौरवशाली सफर को याद किया जाएगा.

वायुसेना प्रमुख ने मिग-21 से भरी अंतिम उड़ान भरी

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े के इस जोरदार योद्धा से वायुसेना प्रमुख ने सोमवार को अंतिम उड़ान भरी. इन विमानों को 26 सितंबर को चंडीगढ़ में आयोजित औपचारिक सेवानिवृत्ति समारोह में अंतिम विदाई दी जाएगी. मिग-21 की प्रतीकात्मक विदाई की बेला पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने 18 से 19 अगस्त को नाल से मिग-21 में एकल उड़ान भरी. यह 62 वर्षों तक वायुसेना की सेवा करने वाले रूसी मूल के लड़ाकू विमान पर प्रशिक्षित पायलट की की कई पीढ़ियों के लिए एक भावुक क्षण था. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयर चीफ मार्शल सिंह ने अपनी उड़ान के बाद कहा कि मिग-21 वर्ष 1960 के दशक में अपनी शुरुआत से ही भारतीय वायुसेना का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान रहा है और हम अब भी इसे इस्तेमाल कर रहे हैं. यह इतिहास में सबसे अधिक, बड़े पैमाने पर निर्मित किए गए सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है, जिसके 11,000 से ज्यादा विमान 60 से अधिक देशों में इस्तेमाल किए जा चुके हैं.’’

वायुसेना प्रमुख ने सुनाया अपना अनुभव

मिग 21 को लेकर वायुसेना प्रमुख ने अपने अनुभव शेयर किए हैं. उन्होंने कहा ‘‘मिग-21 के साथ मेरा पहला अनुभव 1985 में रहा जब मैंने तेजपुर में इसका टाइप-77 संस्करण उड़ाया. यह एक अद्भुत अनुभव था. यह फुर्तीला, अत्यधिक गतिशील और डिजाइन में सरल था, हालांकि इसके लिए कुछ शुरुआती प्रशिक्षण की आवश्यकता थी. यह उड़ाने के लिए अद्भुत विमान है और इसे उड़ाने वाले सभी लोग इसको याद करेंगे.” इंटरसेप्टर के रूप में मिग-21 के शानदार काम का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा “इसे इंटरसेप्ट करने के लिए बनाया गया था और इस भूमिका में इसने भारत की उल्लेखनीय सेवा की. लेकिन हर चीज का समय और स्थान होता है. तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और उसका रखरखाव मुश्किल है. अब समय आ गया है कि तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे नए मंच की ओर बढ़ा जाए.” उन्होंने कहा,”तेजस को वास्तव में मिग-21 के प्रतिस्थापन के रूप में डिजाइन किया गया था. इसलिए यह छोटा विमान है. इसे मिग-21 के इर्द-गिर्द डिजाइन किया गया था और इसकी कल्पना मिराज से प्रेरित होकर की गई थी.”

कई युद्ध में मिग-21 ने पलट दी बाजी

इस दौरान वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर जयदीप सिंह ने विभिन्न युद्धों में मिग-21 के ऐतिहासिक योगदान को याद किया. उन्होंने कहा, ‘‘इस विमान ने 1965 के युद्ध में भाग लिया था और 1971 की लड़ाई में विशेष रूप से 14 दिसंबर को ढाका में राज्यपाल के आवास पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी. राज्यपाल ने अगले दिन इस्तीफा दे दिया और 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया और उसके 93,000 सैनिकों ने हथियार डाल दिये. उन्होंने कहा “इसके बाद 1999 में ऑपरेशन सफेद सागर के तहत कारगिल में भी इस विमान ने करामात दिखाई जब मिग-21 ने भारतीय इलाके में घुसपैठ कर रहे एक पाकिस्तानी अटलांटिक विमान को मार गिराया.” 2019 में यह फिर सुर्खियों में आया जब इसने एक एफ-16 को मार गिराया. समय के साथ मिग-21 को उन्नत किया गया जिनमें से सबसे हालिया बाइसन संस्करण है जो आधुनिक रडार और मिसाइलों से लैस है. भारतीय वायुसेना मौजूदा समय में इस जेट के दो स्क्वाड्रन संचालित करती है जिन्हें अगले महीने चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा.

मिग-21 का गौरवशाली इतिहास

मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो की ओर से बनाया गया था. मिग-21 को 1963 में भारत ने सोवियत संघ से खरीदा था. यह भारत का पहला गैर-पश्चिमी युद्धक विमान था, जिसने भारत और सोवियत संघ के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत किया. भारत ने 850 से अधिक मिग-21 विमानों को संचालित किया, जिनमें से लगभग 600 हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर देश में ही निर्मित किए गए.

‘उड़ता ताबूत’ के नाम से हुई बदनामी

मिग-21 का इतिहास जितना गौरवशाली रहा, उतना ही विवादों में भी रहा. इसने अपनी सेवा के दौरान 400 से अधिक दुर्घटनाओं में 170 से ज्यादा पायलटों और 60 नागरिकों की जान ले ली, जिसके कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ की संज्ञा मिली. पुराने ढांचे, स्पेयर पार्ट्स की कमी और तकनीकी सीमाओं के कारण यह विमान आउटडेटेड होता चला गया. वहीं मिग-21 की सेवानिवृत्ति भारतीय वायुसेना के लिए एक नए युग का सूचक है. इसे स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क-1A से रिप्लेशमेंट किया जा रहा है.