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भविष्य में होने वाले युद्ध में तकनीक और सेनाओं के बीच समन्वय पर होगा मंथन


Defense: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार देश की तीनों सेना युद्ध में इनोवेशन, राजनीतिक रणनीति और अन्य मुद्दों पर चर्चा हो रही है. देश में पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त सेमिनार आयोजित हो रहा है. इस सेमिनार में युद्ध, युद्ध रणनीति और युद्ध में प्रयोग होने वाले आधुनिक तकनीक पर चर्चा होगी. इस विचार-विमर्श में सेना के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा उद्योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद और अंतर्राष्ट्रीय रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग अपनी राय रखेंगे. 

रक्षा मंत्रालय मंगलवार से मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में  ‘रण संवाद-2025’ नामक दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन करने जा रहा है. इस कार्यक्रम में 17 मित्र देशों के प्रतिनिधि के शामिल होने की संभावना है.

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि मौजूदा समय में युद्ध जमीन, समुद्र और आसमान तक सीमित नहीं रह गए है. अब युद्ध साइबर और स्पेस के दायरे तक पहुंच चुका है. ऐसे में संभावित खतरे को देखते हुए देश को हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा और इसके लिए एकीकृत प्रयास करने की जरूरत है. भविष्य के युद्ध के तरीके में होने वाले व्यापक बदलाव को देखते हुए थल, नौसेना और वायुसेना को मिलकर काम करना होगा. तीनों सेना के बीच बेहतर समन्वय समय की मांग है. 

 
चुनौतियों को देखते हुए थिएटर कमांड बनाने का काम हुआ तेज

सीडीएस ने कहा कि समय के साथ युद्ध का तरीका बदल रहा है. भावी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए थिएटर कमांड के गठन का फैसला लिया. कारगिल युद्ध के बाद बनी कमेटी ने थिएटर कमांड बनाने की सिफारिश की थी. इसका मकसद भारतीय सेना के बीच इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स और जॉइंट ट्रेनिंग और संसाधन का एक कमांड बनाना था. लंबी चर्चा के बाद थिएटर कमांड का रास्ता साफ हुआ. 

रण संवाद 2025 का मकसद सेनाओं में स्पष्ट उद्देश्य, साझा प्रयास और बेहतर संचालन समझ को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा करना है. गौरतलब है कि रायसीना डायलॉग के तहत जहां भू-राजनीति और रणनीति पर चर्चा हाेती है, वहीं रण संवाद में सिर्फ सैन्य मामलों और भविष्य के युद्ध पर चर्चा होगी. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव, डीआरडीओ प्रमुख, सेना के अधिकारी, सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल), रक्षा विशेषज्ञ, शोधकर्ता, उद्योग जगत के प्रतिनिधि सहित कई अन्य लोग शामिल होंगे.