Health and Family Welfare: भारत में खाद्य लेबलिंग, विज्ञापन और दावों पर नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बुधवार को विज्ञान भवन में “खाद्य लेबलिंग, विज्ञापन और दावों पर नियामक ढांचे का व्यापक विश्लेषण” विषय पर राष्ट्रीय हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया. इस परामर्श बैठक में लगभग 700 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें संबंधित मंत्रालयों, सरकारी विभागों, वैज्ञानिक विशेषज्ञों, खाद्य व्यवसायों, राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों, उद्योग संघों, उपभोक्ता संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे.
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मौजूदा विनियमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना, क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना और उपभोक्ता संरक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने तथा खाद्य उद्योग में इनोवेशन को समर्थन देने के लिए वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करने के तरीकों की खोज करना रहा.
खाद्य उत्पादों को और अधिक बारीकी से जांच जरूरी
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव, पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बदलते खाद्य क्षेत्र में नैतिक और सच्ची लेबलिंग एवं विज्ञापन की आवश्यकता पर जोर देते हुए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, खाद्य उत्पादों की गहन जांच करने और ऐसे महत्वपूर्ण परामर्श आयोजित करने का आग्रह किया. खाद्य क्षेत्र में नैतिक और सच्ची लेबलिंग और विज्ञापन प्रथाओं के महत्व पर जोर देते हुए खाद्य क्षेत्र के बदलते परिवेश की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि हम अब पूरी दुनिया से जुड़े हैं, जिसका मतलब है कि हमें कई सकारात्मक बदलाव और सर्वोत्तम प्रथाएं अपनानी होंगी, साथ ही खाद्य उत्पादों की और अधिक बारीकी से जांच करनी होगी.
उत्पाद में मौजूद तत्वों की सच्ची घोषणा जरूरी
खाद्य उद्योग में ईमानदार और सच्ची घोषणाओं की आवश्यकता पर जोर देते हुए,उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने उद्योग से आग्रह किया कि वे उत्पाद में मौजूद तथ्यों की सच्ची और ईमानदार घोषणा करें, भ्रामक विज्ञापन और छलपूर्ण प्रथाओं से बचें. उन्होंने कहा कि फूड लेबलिंग केवल एक मार्केटिंग टूल नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे निर्माता और उपभोक्ता के बीच विश्वास के सबसे आवश्यक कारक के रूप में माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो भी खाद्य उत्पाद में हो उसकी सच्ची और ईमानदार घोषणा की जाए और अंतिम निर्णय उपभोक्ता पर छोड़ दिया जाये.वहीं प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि विज्ञापनों में किए गए दावों की और गहराई से जांच की आवश्यकता है, क्योंकि भले ही उनके समर्थन में कथित वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद हों, उन्हें बाहरी रूप से सत्यापित करना आवश्यक है.
व्यावहारिक नीतियां बनाने की जरूरत
इस परामर्श ने हितधारकों के बीच ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की, जिसके परिणामस्वरूप नियामक ढांचे में सुधार, उभरती चुनौतियों का समाधान और उपभोक्ता विश्वास तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस सिफारिशें सामने आईं.
यह आयोजन उन राष्ट्रीय-स्तरीय हितधारक संवाद श्रृंखलाओं का हिस्सा था, जिन्हें बहु-हितधारक भागीदारी की आवश्यकता वाले प्रमुख नियामक मुद्दों को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उद्योग, अकादमिक जगत, उपभोक्ता समूहों, किसान संगठनों और नियामक निकायों के साथ मिलकर कार्य करते हुए, FSSAI का उद्देश्य अपने नियामक ढांचे में क्षेत्र-विशिष्ट दृष्टिकोण और जमीनी अनुभव को शामिल करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि नीतियां व्यावहारिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के अनुरूप बनी रहें.