Election Commission: देश में चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप विपक्ष लगा रहा है. पहले विपक्ष की ओर से ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए, लेकिन बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बीच विपक्ष मतदाता सूची में फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहा है. मतदाता सूची में फर्जीवाड़े को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है.
इस बीच चुनाव आयोग की ओर से चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया और अब तक 65 लाख मतदाताओं का नाम विभिन्न कारणों से मतदाता सूची से हटाया जा चुका है.
आयोग पूरे देश में इस अभियान को शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है. भले ही विपक्षी दलों की ओर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन आयोग पूरी तत्परता से इस अभियान को पूरा करने की तैयारी कर चुका है. साथ ही आयोग ऐसे पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों को खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जो सिर्फ कागज पर मौजूद हैं.
इसके लिए चुनाव आयोग राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चला रहा है. आने वाले समय में आयोग की ओर से और सख्त कदम उठाने की तैयारी है. फर्जी मतदाता सूची पर रोक लगाने के लिए मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का काम भी जल्द शुरू हो सकता है.
नियमों की अनदेखी का है आरोप
जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल को चुनाव चिन्ह, टैक्स में छूट जैसी कई सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन नियम के तहत अगर कोई दल लगातार 6 साल तक एक भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेता, तो उसका नाम सूची से हटाने का प्रावधान है. चुनाव आयोग के अनुसार वर्ष 2019 से अब तक 6 साल से अधिक समय तक चुनाव नहीं लड़ने वाले दलों की संख्या 476 है.
ऐसे दलों को मान्यता प्राप्त दल की सूची से हटाने का काम 9 अगस्त 2025 को पूरा हो चुका है, जिसमें 334 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से पहले ही बाहर किया जा चुका है. आयोग के इस फैसले के बाद देश में ऐसे दलों की संख्या 2854 से घटकर 2520 हो गयी. दूसरे चरण में ऐसे 476 दलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी है.
आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे दलों को कारण बताओ नोटिस भेजकर सुनवाई करे और अंतिम रिपोर्ट आयोग को सौंपे. आयोग के अनुसार ऐसे दलों की संख्या उत्तर प्रदेश में 121, महाराष्ट्र में 44, दिल्ली में 41, बिहार में 15, झारखंड में पांच, पश्चिम बंगाल में 12 और बाकी अन्य राज्यों में हैं. आयोग का कहना है कि इस कदम से फर्जी या निष्क्रिय दलों के पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.