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देश में रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा


Defense: रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई रक्षा उपकरणों का स्वदेशी निर्माण किया जा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी हथियारों ने अपनी उपयोगिता साबित कर दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में किसी दूसरे देशों पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है. सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का वार्षिक रक्षा उत्पादन बढ़कर 150590 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. पिछले वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये का था. यानी एक साल में रक्षा उत्पादन में 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. 

इन आंकड़ों को वित्त वर्ष 2019-20 से तुलना करें तो वित्त वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 90 फीसदी से अधिक हो गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को हासिल करने में रक्षा उत्पादन विभाग और सभी हितधारकों जैसे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के निर्माताओं और निजी उद्योग के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि देश रक्षा उत्पादन के मामले में एक ताकत के तौर पर उभर रहा है. 

रक्षा उत्पादन में बढ़ रही है निजी क्षेत्र की भागीदारी

रक्षा उत्पादन में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का योगदान लगभग 77 फीसदी रहा. जबकि निजी क्षेत्र की भागीदारी 23 फीसदी रही. भारत में रक्षा निवेश के लिए निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024-25 में 23 फीसदी हो गयी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 21 फीसदी थी. समय के साथ रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी भागीदारी लगातार बढ़ रही है. निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से साफ है कि देश में डिफेंस इकोसिस्टम लगातार मजबूत हो रहा है. सरकार की नीतियों में सुधार की गति को तेज करने के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा क्षेत्र से जुड़े सार्वजनिक उपक्रम और निजी क्षेत्र का समग्र उत्पादन 16 फीसदी और 28 फीसदी बढ़ा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत बनाने की पहल का असर रक्षा क्षेत्र में दिख रहा है. आयात पर निर्भरता कम करने और एक रक्षा औद्योगिक परिसर बनाने का काम किया जा रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात 23622 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 21083 करोड़ रुपये था. आने वाले समय में रक्षा निर्यात के मामले में भारत विकसित देशों को टक्कर देने की स्थिति में पहुंच जाएगा.