Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. ट्रंप का यह कदम भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने टैरिफ बढ़ोत्तरी को लेकर कहा कि भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला बेहद चौंकाने वाला है. उद्योग निकाय ने कहा कि इससे अमेरिका को भारत से होने वाले 55 प्रतिशत निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण आयातित भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है.
किन वस्तुओं पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
अमेरिका के इस कदम से कपड़ा, समुद्री उत्पादों और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों पर सबसे बुरा असर पड़ने की संभावना है. ट्रंप के इस आदेश के बाद कुछ वस्तुओं को छोड़कर भारतीय वस्तुओं पर कुल टैरिफ 50 फीसदी हो जाएगा. फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा ”यह कदम भारतीय निर्यात के लिए एक गंभीर झटका है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में हमारे लगभग 55 फीसी सामान सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. कुल 50 प्रतिशत जवाबी शुल्क प्रभावी रूप से कीमत को बहुत बढ़ा देगा.”
महंगे हो जाएंगे भारतीय सामान
रल्हन ने कहा कि कई निर्यात ऑर्डर पहले ही रोक दिए गए हैं, क्योंकि खरीदार अधिक लागत को देखते हुए खरीदारी के फैसले पर फिर से विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मार्जिन पहले से ही कम है और यह अतिरिक्त झटका निर्यातकों को अपने पुराने ग्राहकों को खोने के लिए मजबूर कर सकता है. अब अमेरिका में भारतीय सामान काफी महंगे हो जाएंगे. आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि अमेरिका के शुल्क से भारतीय सामान वहां काफी महंगे हो सकते हैं, जिससे अमेरिका को होने वाले निर्यात में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है.
चीन को नहीं देना पड़ रहा जुर्माना
रल्हन ने कहा कि साल 2024 में चीन ने रूस से 62.6 अरब डॉलर का तेल खरीदा था, जो भारत के 52.7 अरब अमेरिकी डॉलर से काफी ज्यादा है, फिर भी उसे इस तरह का कोई जुर्माना नहीं देना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन पर सीधे निशाना साधने से बचता है. इसका कारण है कि कई वस्तुओं के लिए अमेरिका चीन निर्भर है. चीन गैलियम, जर्मेनियम, रेयर अर्थ और ग्रेफाइट जैसी अहम सामग्रियों पर अपना दबदबा रखता है. ये वस्तुएं अमेरिकी रक्षा और तकनीक के लिए बेहद जरूरी हैं. सबसे बड़ी बात की अमेरिका ने यूरोपीय संघ जैसे अपने सहयोगियों के रूस के साथ व्यापार को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है. अमेरिका ने खुद रूस से 3.3 अरब डॉलर की सामरिक सामग्री खरीदी है. (इनपुट- भाषा)