Cyber Crime: देश में डिजिटलीकरण के बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध मौजूदा समय में सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है. वैसे तो संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय हैं. राज्य, केंद्र शासित प्रदेश अपने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के जरिए साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों की रोकथाम, उनका पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं.
हालांकि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को अपराधों से निपटने के लिए सक्षम बनाने के लिए केंद्रीय मदद मुहैया करायी जाती है. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध सहित अन्य साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को व्यापक और समन्वित तरीके से मजबूत बनाने हेतु केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना के तहत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को क्षमता विकसित करने के लिए 132.93 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराया है.
इस फंड के तहत साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण लैब, जूनियर साइबर परामर्शदाताओं की नियुक्ति और कानून प्रवर्तन एजेंसी कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण मुहैया कराना है. इसके लिए 33 राज्य, केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण लैब का गठन किया गया है.
साइबर अपराध बन रहा है बड़ी चुनौती
देश में आर्थिक और अन्य तरह के साइबर अपराध की संख्या लगातार बढ़ रही है. साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा, मेघालय, नागालैंड, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पंजाब, त्रिपुरा, पुद्दुचेरी, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मणिपुर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली में साइबर लैब काम कर रहे है. साथ ही जांच और अभियोजन के बेहतर संचालन के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसी कर्मियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी बनाया गया है.
राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया है. महिलाओं एवं बच्चों के प्रति साइबर अपराध रोकथाम योजना के तहत 24600 से अधिक कानून प्रवर्तन एजेंसी कर्मियों, लोक अभियोजन और न्यायिक अधिकारियों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. साथ ही सरकार की ओर से साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया गया है. यह एक केंद्रीकृत पोर्टल है, जिस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री, जैसे यौन दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की रिपोर्ट की जा सकती है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) को केंद्र सरकार की एक एजेंसी के तौर पर बनाया गया है, जो राज्यों के साथ मिलकर काम करती है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी.