Defense: युद्धपोत डिजाइन और निर्माण में भारत को एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नौसेना को प्रोजेक्ट 17 ए के तहत नीलगिरी श्रेणी की तीसरी आधुनिक पोत हिमगिरी मिली है. कोलकाता स्थित गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित यह युद्धपोत समुद्र की मौजूदा और भावी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है. यह एक साथ कई अभियान में शामिल हो सकता है. एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत हिमगिरि से नौसेना की समुद्र में मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी. लगभग 149 मीटर लंबे तथा 6670 टन वजनी युद्धपोत सबसे परिष्कृत गाइडेड मिसाइल युद्धपोत है.
नौसेना के लिए 17 ए परियोजना के तहत बनाए जा रहे तीन एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों में से हिमगिरि पहला है. आईएनएस हिमगिरी वर्ष 2005 में नौसेना से रिटायर हो गया और इसके बाद हिमगिरी बनाने का काम शुरू किया गया. आधुनिक तकनीक से लैस हिमगिरी में कई विशेष उपकरण लगे हैं और यह दुनिया के बेहतरीन युद्धपोत की तरह काम करने में सक्षम है. इसमें आधुनिक हथियार और सेंसर लगे हुए हैं. गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट परियोजना के तहत हिमगिरि समेत तीनों युद्धपोतों के निर्माण पर लगभग 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है.
आधुनिक तकनीक से है लैस
यह युद्धपोत डीजल इंजन और गैस टरबाइन के संयोजन से संचालित होता है. इसमें आधुनिक एईएसए रडार और आधुनिक लड़ाकू प्रणालियों से लैस तथा वायु-रोधी, सतह-रोधी और पनडुब्बी-रोधी क्षमता है. हिमगिरि पर पर 225 सैनिकों तथा अधिकारियों के लिए आरामदायक रहने की सुविधा है. इसपर हेलीकॉप्टरों के संचालन के लिए सभी तरह की सुविधा है. खास बात है कि इसके निर्माण में 75 फीसदी स्वदेशी उपकरण लगे हैं और लगभग 200 छोटे लघु एवं मध्यम उद्योग की भागीदारी रही. इसके निर्माण में 4 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और 10 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला. इसका निर्माण तय समय में किया गया. यह 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है.
एंटी एयर वॉरफेयर के लिए एयर डिफेंस गन और बराक 8 लांग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल, एंटी सरफेस और एंटी शिप वॉरफेयर के लिए ब्रह्मोस, एंटी सबमरीन वारफेयर और एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर से लेस है. यह फ्रिगेट सोनार, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम और मल्टी फ़ंक्शन डिजिटल रडार से लेस है. लंबी दूरी से आने वाले अटैक को डिटेक्ट भी कर सकता है उसे तबाह कर सकता है.