Operation Sindoor: के दौरान भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान पर करार प्रहार किया गया. हालांकि पाकिस्तान की ओर से भारतीय कार्रवाई के खिलाफ कई तरह के झूठे नैरेटिव फैलाने की कोशिश की गयी. मौजूदा समय में किसी भी देश के लिए युद्ध के दौरान फेक न्यूज और फेक प्रोपेगैंडा से निपटना बड़ी चुनौती बन गयी है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से भी फेक न्यूज को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल करने की कोशिश की गयी. लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने के एजेंडे को भी कमजोर करने का काम किया.
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश में फेक न्यूज पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने नियम बनाया हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के बाहर से सेना को लेकर कई तरह के फर्जी खबर फैलाने की कोशिश की गयी और इसे रोकने के लिए सरकार की ओर से सख्त कदम उठाया गया.
सरकार की ओर से सूचना तकनीक कानून 2000 की धारा 69ए के तहत फर्जी खबर फैलाने वाले वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ऐसे 1400 सोशल मीडिया साइट को ब्लॉक किया गया. यही नहीं केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट ने भारत और भारत की सेना के खिलाफ पाकिस्तान के दुष्प्रचार का तथ्यों के साथ मुकाबला किया.
भ्रामक खबर से निपटने के लिए बनायी गयी अंतर-मंत्रालयी समिति
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा से निपटने के लिए एक केंद्रीकृत कंट्रोल रूम बनाया गया. ताकि विभिन्न विभाग और मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय बनाया जा सके. यह कंट्रोल रूम चौबीस घंटे काम कर रहा था और सही खबर की जानकारी सभी मीडिया समूहों को मुहैया कराने का काम कर रहा था. कंट्रोल रूम में आर्मी, नेवी और नौसेना के नोडल अधिकारी के अलावा सरकार के विभिन्न विभाग के मीडिया अधिकारी, प्रेस सूचना आयोग के अधिकारी शामिल थे. ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी सोशल मीडिया पर फेक न्यूज पर नजर रखी जा रही थी और फिर उचित कार्रवाई के आदेश दिए जा रहे थे. केंद्र सरकार ने 26 अप्रैल को सभी मीडिया समूह को दिशा निर्देश जारी कर सेना से जुड़ी गतिविधियों की लाइव कवरेज करने से परहेज करने की अपील की.