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भविष्य में औद्योगिक क्रांति का आधार बनेगा बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र 


Biotech: देश के बायोटेक्नोलॉजी मिशन को समग्र बनाने के लिए आम लोगों में समझ और भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है. देश का हर नागरिक बायो इकोनॉमी में हितधारक है. यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है और वर्ष 2030 तक देश में 300 बिलियन डॉलर की बायो इकोनॉमी होने की संभावना है. वर्ल्ड बायो प्रोडक्ट दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित करते केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और उससे संबद्ध संस्थाएं मरीन बायोमास, कृषि के कचरे का प्रयोग करने के लिए इनोवेशन करने, वन उत्पाद और देश के विभिन्न क्षेत्रों की जरूरत के हिसाब से बायो प्रोडक्ट क्षमता विकसित करने के लिए देश के चुनिंदा संस्थानों में विचार-विमर्श किया. बायो मिशन को सफल बनाने के लिए छात्र, स्टार्टअप और उद्योग जगत की भागीदारी जरूरी है. स्टार्टअप को शुरू करना आसान है, लेकिन उसे नयी ऊंचाई प्रदान करना काफी मुश्किल है.

इसके लिए स्टार्टअप को उद्योग के साथ साझेदारी बढ़ानी होगी ताकि वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़े. उन्होंने कहा कि बायो उत्पाद अब सिर्फ लैब तक सीमित नहीं है अब वे आजीविका का हिस्सा बन चुके है. यह ग्रामीण स्तर पर लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहा है. भविष्य की औद्योगिक क्रांति बायो इकोनॉमी के जरिये ही होगी और इसमें भारत अग्रणी भूमिका निभायेगा. बायोटेक क्षेत्र में युवा स्कालर को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अभिभावक की उम्मीद और स्कालर की व्यक्तिगत सोच के बीच अंतर देखा जाता है. इस मामले में नयी शिक्षा नीति व्यापक बदलाव लाने का काम कर रही है. अब छात्रों के पास अपनी पसंद के विषय के साथ डिग्री पूरा करने की छूट है.  

देश में सशक्त हुआ है इकोसिस्टम

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक दशक पहले बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सिर्फ 50 स्टार्टअप थे, जो अब बढ़कर लगभग 11 हजार हो गए हैं. ऐसा देश में बायोटेक्नोलॉजी का सशक्त इकोसिस्टम बनने से ही संभव हुआ है. सरकार ने क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बेहतर नीति बनायी और संस्थागत सहयोग भी दिया. हाल में शुरू की गयी बायोई 3 नीति देश को सतत बायो मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का काम करेगी. इससे आर्थिक विकास को भी गति मिलगी. उन्होंने पूर्व में सरकार की नीति प्राथमिकता खासकर कृषि क्षेत्र में नीति असमानता का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के मॉडल पर कृषि नीति तैयार होती रही और इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा.

देश अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग नहीं कर पाया. बायाे प्रोडक्ट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग करने, सफलता की कहानी और आम लोगों को इसके फायदे के बारे बताने के लिए व्यापक अभियान चलाना होगा. अगर इस क्षेत्र के प्रति युवा प्रतिभा को आकर्षित करना है कि बायोटेक्नोलाॅजी को फायदा और आजीविका से जोड़ना होगा. डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सचिव राजेश एस गोखले ने कहा कि बायोई 3 नीति से क्षेत्र के लिहाज से इनोवेशन को बढ़ावा दिया गया और रिसर्च को बाजार से जोड़ने के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का काम करेगा. विभाग स्टार्टअप, उद्योग और छात्रों के बीच सहयोग बढ़ाने का काम करेगा.