Delhi Petrol-Diesel New Rule: दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार द्वारा लिया गया एक अहम फैसला राजधानी में चर्चा का विषय बन गया है. नए आदेश के अनुसार, यदि कोई पेट्रोल पंप 10 साल पुराने डीजल या 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों में ईंधन भरता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा. सरकार के इस आदेश से पेट्रोल पंप संचालकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है.
कोर्ट की शरण में पहुंचे पेट्रोल पंप मालिक
दिल्ली पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी दलील है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192(1) के अनुसार कार्रवाई केवल वाहन मालिक या चालक पर की जा सकती है, ईंधन भरने वालों पर नहीं. याचिका में कहा गया है कि पेट्रोल पंप संचालकों की जिम्मेदारी केवल ईंधन आपूर्ति तक सीमित है, वे ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ अफसर नहीं हैं कि हर वाहन की वैधता की जांच कर सकें.
सरकार की नीयत सही लेकिन तरीका गलत: याचिकाकर्ता
याचिका दायर करने वाले वकील आनंद वर्मा ने बताया कि पेट्रोल पंप संचालक पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्हें दंडित करना तर्कसंगत नहीं है. उनका कहना है कि इस आदेश के लागू होने से हजारों पेट्रोल पंप संचालकों पर अनावश्यक दबाव और कानूनी जोखिम बढ़ जाएगा.
अब इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई की उम्मीद है। यदि कोर्ट से राहत नहीं मिली तो राजधानी में हजारों पेट्रोल पंपों पर कामकाज प्रभावित हो सकता है. सरकार का यह फैसला पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रिया पर सवाल जरूर उठने लगे हैं.