PM Modi Govt 11 Years: सोमवार 9 जून को नरेंद्र मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ और कुल मिलाकर 11वीं वर्षगांठ मनायेगी. तीसरे कार्यकाल में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिल पाया, लेकिन एनडीए गठबंधन के साथ मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. भले की सरकार गठबंधन की बनी है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी पहले की ही तरह मजबूत स्थिति में और पूरे आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं. वहीं, उनके दो प्रमुख सहयोगी (नायडू और कुमार), जिन्हें विपक्ष बैसाखी बता रहा था, न केवल भरोसेमंद साबित हुए हैं, बल्कि जमकर मोदी के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं. भाजपा ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच को नये सिरे से तैयार करने के लिए फिर से काम शुरू किया है और विधानसभा चुनावों में आश्चर्यजनक रूप से बड़ी जीत हासिल करके अपनी गति फिर से हासिल कर ली.
26 साल बाद दिल्ली में बनी बीजेपी की सरकार
लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन हरियाणा और महाराष्ट्र में उम्मीद से कम रहा था, लेकिन इस पार्टी ने अपने कल्याणकारी उपायों और क्षेत्रीय नेतृत्व के प्रयासों से स्थिति को बदल दिया और विधानसभा चुनाव में इन दोनों राज्यों में जीत हासिल की. भाजपा ने 26 वर्षों के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और अपने प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को पछाड़ दिया.
प्रधानमंत्री मोदी का कोई ठोस विकल्प नहीं : एसोसिएट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर मनोज कुमार इस बात पर जोर देते हैं कि विपक्ष द्वारा मोदी के खिलाफ लड़ाई में विफल रहने के बावजूद मोदी के नेतृत्व की स्थिति लगभग निर्विवाद है. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में किसी भी मोड़ पर हमेशा अवसर और चुनौतियां होती हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी हैं, उनका कोई ठोस विकल्प नहीं है.’’
ऑपरेशन सिंदूर ने मोदी को किया और मजबूत
एसोसिएट प्रोफेसर मनोज कुमार का मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य कार्रवाई ने एक बार फिर राष्ट्रीय हित में काम करने वाले नेता के रूप में उनकी छवि को मजबूती प्रदान की है. कुमार ने कहा कि जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का सरकार का निर्णय राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों को अपने पक्ष में करने में भाजपा की ताकत को रेखांकित करता है.