Cast Census Date: केंद्र सरकार ने जाति जनगणना की तारीखों की घोषणा करते हुए इसे दो चरणों में कराने का फैसला किया है. दो चरणों में कराई जाने वाली जनगणना की शुरुआत पहाड़ी राज्यों में जहां 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, वहीं मैदानी राज्यों में इसकी शुरुआत 1 मार्च 2027 में होगी. यह जनगणना 16 साल बाद करायी जायेगी. जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार उपरोक्त संदर्भ तिथियों के साथ जनगणना कराने के आशय की अधिसूचना 16 जून को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जायेगा.
पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी. वहीं मैदानी इलाकों में जातीय जनगणना की शुरुआत 2027 में होगी. 2027 में जनगणना के बाद से भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा. जो पहले 1951 से शुरू हुआ था वो अब 2027-2037 और फिर 2037 से 2047 होगा.
प्रत्येक 10 साल में करायी जाती है जनगणना
नियम के मुताबिक प्रत्येक 10 साल पर जनगणना करायी जाती है. 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती रही है, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण इसे टालना पड़ा. जनगणना 2021 को भी इसी तरह दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव था, पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में आयोजित किया जाना था. 2021 में आयोजित की जाने वाली जनगणना के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी हो गई थीं और 1 अप्रैल, 2020 से कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय कार्य शुरू होने वाला था. लेकिन देश भर में कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना का काम स्थगित करना पड़ा.
भारत की जनगणना, जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के प्रावधानों के अंतर्गत की जाती है. भारत की पिछली जनगणना 2011 में दो चरणों में की गई थी, अर्थात पहले चरण् में मकान सूचीकरण जो 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2010 और दूसरे चरण में जनगणना जो 09 फरवरी से 28 फरवरी 2011 तथा जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बर्फ से ढके क्षेत्रों के लिए यह 11 से 30 सितंबर 2010 के दौरान आयोजित की गई थी.
जातियों के आंकड़े किये जायेंगे प्रकाशित
आजादी के बाद यानी 1947 के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था.अब तक हुए हर जनगणना में सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ही जाति आधारित आंकड़े जारी किए हैं. अन्य जातियों के जातिवार आंकड़े 1931 के बाद कभी प्रकाशित नहीं किए गए. लेकिन विपक्षी पार्टियों की मांग और सरकार ने इसकी जरूरत को समझते हुए इस बार जातिवार गणना प्रकाशित करने का निर्णय लिया है. जनगणना के आंकड़े से सरकार को नीति नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने में आसानी होती है.