Food Security: देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने डिपो दर्पण पोर्टल, अन्न मित्र और अन्य सहायता को शुरू किया. इस डिजिटल पहल के जरिये सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने की कोशिश कर रही है ताकि सरकार की योजना का लाभ समाज के अंतिम तबके तक आसानी से पहुंच सके. केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को इसे लांच करते हुए कहा कि इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता, इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के साथ लाभार्थी और इसके संचालन से जुड़े लोगों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.
करोड़ों लोगों को सस्ता अनाज मुहैया करा रही है सरकार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकार 81 करोड़ लोगों को सस्ता अनाज मुहैया करा रही है. सरकार समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को सशक्त बनाने का काम कर रही है. देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का व्यापक नेटवर्क है और देश में लगभग 5.38 लाख राशन की दुकान है. यह कई देशों की आबादी से अधिक है. वैश्विक स्तर पर महंगाई के बावजूद सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण देश में महंगाई को नियंत्रित करने में कामयाब रही है. साथ ही फोर्टिफाइड चावल के जरिये गरीबों में पोषण के स्तर को बनाये रखने का काम कर रही है.
इन पहलों से होगी करोड़ों रुपये की बचत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डिपो दर्पण पोर्टल से भारतीय खाद्य निगम के गोदामों की क्षमता बढ़ेगी और इससे आय में वृद्धि होगी. इससे लगभग 275 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है. पोर्टल से गोदाम के स्पेस का सही प्रयोग होगा. इसके कारण सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन का 140 करोड़ रुपये बचेगा. सरकार द्वारा की गयी समीक्षा में पाया गया कि एफसीआई और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के इंफ्रास्ट्रक्चर में कई तरह की कमी है. इसके कारण उनकी क्षमता और सेवा प्रदान की गुणवत्ता अच्छी नहीं है. इन कमियों को दूर करने के लिए एफसीआई को एक हजार करोड़ रुपये और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन को 280 करोड़ रुपये का आवंटन किया.
डिपो की होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
डिपो दर्पण डिजिटल तौर पर कर्मचारियों और डिपो की क्षमता को बेहतर बनाने का काम करेगा. इसके लिए डिपो की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी. डिजिटल इंडिया के तहत पारदर्शिता, दक्षता और सेवा को बेहतर बनाने के मकसद से इसका निर्माण किया गया है. सरकार की कोशिश सरकारी अन्न गोदामों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाना है ताकि अनाज की बर्बादी को रोकने में मदद मिले और अनाज सही तरीके से लाभार्थी तक पहुंच सके.