Agriculture: देश को विकसित भारत बनाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है. विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में कृषि क्षेत्र का अहम योगदान है. कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने 29 मई से ‘विकसित कृषि संकल्प’ अभियान शुरू करने का फैसला लिया है. सोमवार को अभियान की जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित कृषि, विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है. मौजूदा समय में कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लगभग आधी आबादी के रोजगार का साधन है और यह देश की खाद्य सुरक्षा का आधार है.
चौहान ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय का उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है और लगभग 145 करोड़ की आबादी के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न, सब्जियां एवं फल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है. किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए सरकार छह सूत्रीय रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम देना, प्रकृतिक आपदाओं में नुकसान हो जाएं तो भरपाई करना, कृषि का विविधीकरण, उसके साथ-साथ वैल्यू एडिशन, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े कदम उठाना है. साथ ही प्राकृतिक खेती, जैविक खेती को बढ़ावा देना है.
समय के साथ खाद्य उत्पादन में हुई है बढ़ोतरी
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इस साल खरीफ चावल 1206.79 लाख मीट्रिक टन, गेहूं 1154.30 लाख मीट्रिक टन, खरीफ मक्का 248.11 लाख मीट्रिक टन, मूंगफली 104.26 लाख मीट्रिक टन और सोयाबीन 151.32 लाख मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. देश में लगातार कृषि उत्पादन बढ़ रहा है, इसलिए देश का अन्न के भंडार पूरी तरह से भरा हुआ है. भारत कई दूसरे देशों की जरूरतों को भी पूरा करने का काम कर रहा है. सरकार का सपना और संकल्प एक दिन भारत को फूड बास्केट आफ वर्ल्ड बनाना है, इसलिए तय किया है कि खरीफ फसल के लिए हम सारे संस्थान, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने व लागत घटाने के लिए काम कर रहे हैं, उन सभी को एक साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार किया जा रहा है. देश में आईसीएआर के 113 संस्थान हैं, जिनमें इस अभियान के माध्यम से बेहतर समन्वय होगा.
राज्यों के साथ मिलकर होगा काम
शिवराज सिंह ने कहा कि पिछले दिनों एक खरीफ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें कई राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए थे. इसमें तय किया गया कि खरीफ की फसल के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जायेगा. देश में अभी लगभग 16 हजार वैज्ञानिक रिसर्च के काम में लगे हुए हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति के अनुसार इस रिसर्च का जमीन पर असर दिखना चाहिए. जमीन पर रिसर्च का असर हो इसके लिए सरकार की ओर से वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई जा रही हैं, इन टीमों में कम से कम 4 वैज्ञानिक हरेक टीम में होंगे, इनके साथ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को भी जोड़ा जायेगा.
यूनिवर्सिटी, कॉलेज, राज्य सरकार, केंद्र की कृषि विभाग की टीम, प्रगतिशील किसान, एफपीओ सभी मिलकर टीम के रूप में जिलों में जाएंगे और गांवों में पहुंचकर वहां आसपास के गांवों से भी किसानों को एकत्र कर 29 मई से 12 जून तक रोज सुबह-शाम व दोपहर के भोजन के समय भी किसानों से संवाद करेंगे. यह टीम वहां की एग्रो क्लाइमेटिक कंडीशन का पता लगाने के साथ मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं, किन की कमी है, पानी कितना है, वर्षा कितनी होती है, जलवायु कैसी है, मिट्टी की गुणवत्ता जैसे मुद्दों की जानकारी देंगे.