Operation Sindoor: भारतीय हित के खिलाफ काम करने वाले देशों के साथ व्यापार और आर्थिक गतिविधि नहीं हो सकती है. देश के सभी नागरिकों को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारे में सोचना होगा. संकट के समय देश के खिलाफ खड़े देशों का पर्यटन और निर्यात के जरिए मदद नहीं किया जा सकता है. अब समय आ गया है कि देश के लोग मानसिकता बदलें. प्रगति मैदान में एक निजी संस्थान के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्र की सुरक्षा, व्यापार, उद्योग और अन्य क्षेत्र में योगदान दे सकता है. देश के हर नागरिक के लिए देश प्रथम की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने जिस सटीकता के साथ आतंकी ठिकानों पर हमला किया वह काबिले तारीफ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंक पर करारा प्रहार कर दुनिया को बता दिया कि अब आतंकवाद के मामले में भारत कोई समझौता नहीं करेगा. आम नागरिकों पर मुंबई में वर्ष 2008 में हुए भीषण हमले के बाद इस साल पहलगाम में भी आतंकियों ने आम लोगों पर बर्बर हमला किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से आतंकियों और दुनिया के देशों को संदेश दिया कि इस हमले का करारा जवाब भारत देगा, जिसकी कल्पना भी आतंकियों ने नहीं की होगी. ऑपरेशन सिंदूर के जरिये प्रधानमंत्री ने बता दिया कि अब आतंकवाद को लेकर भारत का क्या रुख है. अब कोई ऑपरेशन सिंदूर के लिए सबूत नहीं मांग रहा है क्योंकि पूरी दुनिया ने देख लिया कि भारत ने किस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया.
आतंकवाद से लड़ने के लिए सेना ने तय किया नया मानक
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत ने आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए नया मानक तय कर दिया है. अब देश में आतंकी हमले को युद्ध के तौर पर लिया जायेगा. भारतीय सेना ने पहली बार पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश ए मोहम्मद और लश्कर के मुख्यालय पर हमला किया. भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ वैसा ही ऑपरेशन चलाया, जैसा अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए चलाया था. भारत ने दुनिया को बताकर पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह करने का काम किया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सभ्यता अनूठी है. दुनिया में किसी भी देश की सभ्यता 5 हजार साल पुरानी नहीं है.
ऐसे में हमे राष्ट्रविरोधी नैरेटिव के खिलाफ कदम उठाना होगा. भारत में विदेशी यूनिवर्सिटी का कैंपस खाेलने की इजाजत काफी सोच-समझकर देने की जरूरत है. भारत शिक्षा के व्यापारीकरण को मंजूर नहीं कर सकता है. शिक्षा और स्वास्थ्य पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि सभ्यता से जुड़े विषय हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य समाज की बेहतरी के लिए है. उन्होंने निजी क्षेत्र को भी रिसर्च में योगदान देने की अपील की. देश के शिक्षण संस्थानों को भारतीय कॉरपोरेट से फंड मिलना चाहिए. रिसर्च के लिए सीएसआर फंड का प्रयोग होना चाहिए. तकनीक के लिए भारत दूसरे देश पर निर्भर नहीं रह सकता है.