Mehbooba Mufti: पाकिस्तान के साथ सिंधू जल संधि रद्द करने के बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान सामने आया है. महबूबा ने एक बार फिर पाकिस्तान प्रेम दिखाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान के साथ युद्ध के मुहाने से लौटे हैं. हमारे भी कई लोग शहीद हुए हैं. कई गांव तबाह हो गए हैं. ऐसे में भारत सरकार को सिंधु जल समझौते को लेकर एक बार फिर सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि काफी तबाही के बाद राहत मिली है, ऐसे में अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. हमारे कई लोग यहां शहीद हुए हैं, कई गांव तबाह हो गए हैं, इतनी तबाही के बाद अब कुछ राहत मिली है…हमें वो बाते कहनी चाहिए जिससे अमन बढ़े…मुझे लगता है कि नई दिल्ली को भी इस बारे में सोचना चाहिए और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भी शिमला समझौते को निलंबित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. हमें अपने मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से हल करना चाहिए.
केंद्र सरकार से महबूबा ने की अपील
महबूबा मुफ्ती ने इस दौरान केंद्र सरकार से भी अपील की है ‘हमें ऐसी बातें कहनी चाहिए जो शांति को बढ़ाएं, ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जो उकसावे की बात करें. उमर साहब कह रहे हैं कि हम यहां एक बिजली परियोजना बनाएंगे, लेकिन वह भूल गए कि जब वह केंद्रीय मंत्री थे तो फारूक साहब सीएम थे, उन्होंने दिल्ली को सात बिजली परियोजनाएं भेंट कर दी थी. मुझे लगता है कि नई दिल्ली को भी इस बारे में सोचना चाहिए और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.”
सीएम उमर अब्दुल्ला के साथ महबूबा का वाक्य युद्ध
इससे पहले तुलबुल नौवहन बैराज परियोजना का काम फिर से शुरू करने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आह्वान पर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बीच तीखा वाकयुद्ध शुरू हो गया. दोनों के बीच यह वाकयुद्ध तब शुरू हुआ जब उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि के निलंबित रहने के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान किया और महबूबा ने इस आह्वान को गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक रूप से भड़काऊ बताया. इसपर सीएम उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि वह इस बात को स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात है, क्योंकि वह ओछे प्रचार और सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने की अंध लालसा में डूबी हुई हैं.
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