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पाकिस्तान के साथ अब सिर्फ आतंकवाद पर होगी बात


India-Pak Relation:पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए कई देशों की पहल पर सीजफायर पर सहमति बनी. पाकिस्तान ने अमेरिका से सीजफायर के लिए गुहार लगायी और भारत ने अपनी शर्तों पर सीजफायर का फैसला लिया.

राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ कह चुके हैं कि पाकिस्तान से सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर और आतंकवाद पर ही वार्ता होगी. भारत किसी भी कीमत पर अब आतंकवाद को सहन नहीं करेगा और आतंकवाद की घटना को देश के खिलाफ युद्ध के तौर पर लेगा. 

भारत के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं

सीजफायर के बाद पाकिस्तान की ओर से पत्र लिखकर सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के भारत सरकार के फैसले पर विचार करने की गुहार लगायी गयी है. लेकिन गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ किया कि सिंधु जलसंधि स्थगित रहेगी. पाकिस्तान के साथ अब सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर बात होगी. पाकिस्तान जब तक सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकेगा, भारत के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आएगा. 

दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन समारोह के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत के पक्ष में कई देश खड़े थे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में भी आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने के लिए भारत द्वारा कार्रवाई करने का समर्थन किया था. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकियों को जवाबदेह ठहराने का काम किया. 

अब आतंकवाद पर नहीं होगा कोई समझौता

जयशंकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान का विवाद द्विपक्षीय मामला है और इसमें कोई तीसरे देश की भूमिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. भारत की इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री साफ कर चुके हैं कि पाकिस्तान के साथ बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर होगी. पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है जिसे भारत को सौंपा जाना चाहिए और आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह बंद करना होगा.

पाकिस्तान को अगर संबंध बेहतर करना है तो आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के साथ कठोर कार्रवाई करनी होगी. अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर विदेश मंत्री ने कहा कि टैरिफ और ट्रेड पर दोनों देशों के बीच चर्चा का दौर जारी है. इस बारे में अभी कुछ कहना सही नहीं होगा. कोई भी व्यापारिक समझौता दोनों देशों के हित में होना चाहिए.