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Fisheries: समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने की अहम बैठक


Fisheries: देश के मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास की अपार संभावना है. इस क्षेत्र से देश के करोड़ों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है. सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मत्स्य पालन की प्रगति और भावी योजनाओं की समीक्षा को लेकर एक अहम बैठक की. बैठक का मकसद गहरे समुद्र में मछली पकड़ने और समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाना है.

यह बैठक ऐसे समय आयोजित की गयी जब पिछले महीने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने मुंबई में 255 करोड़ रुपये की मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन किया था. इसके लिए मंत्रालय ने कोस्टल स्टेटस फिशरीज मीट: 2025  का आयोजन किया था. इस दौरान केंद्रीय मत्स्य पालन एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 255.30 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ 7 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया था. 

ग्रामीण आजीविका का है अहम साधन है मत्स्य पालन

देश के आर्थिक विकास और आजीविका के अवसर मुहैया कराने में मत्स्य पालन का अहम योगदान है. देश में व्यापक समुद्री क्षेत्र है और अन्य क्षेत्रों में मत्स्य पालन रोजगार का प्रमुख साधन है. देश के समुद्री राज्य और केंद्र शासित प्रदेश देश के कुल मछली उत्पादन में 72 फीसदी योगदान है और देश के कुल समुद्री खाद्य निर्यात में हिस्सेदारी 76 फीसदी है.

मंत्रालय की ओर से मत्स्य पालन के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जैसे मरीन फिशरीज सेंसस,ऑपरेशन टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस प्रोजेक्ट और वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी करना शामिल है. गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है. वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 फीसदी हिस्सेदारी है.