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समय से पहले होगी मानसून की एंट्री! अल नीनो को लेकर क्या है IMD की राय


Monsoon In India: भारत में इस बार मानसून की समय से पहले दस्तक हो सकती है. आईएमडी के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है. मानसून की दस्तक से पहले बीते दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी बारिश हुई. इस अवधि में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में इजाफा हुआ है. मौसम विभाग ने कहा कि ये स्थितियां इस क्षेत्र में मानसून के आगमन के लिए अनुकूल मानकों को पूरा करती हैं.

मानसून के लिए अनुकूल हैं परिस्थितियां- मौसम विभाग

मानसून के लिए इस साल परिस्थितियां ऐसी बन रही है जो इसके जल्दी दस्तक देने के लिए अनुकूल है. आईएमडी के मुताबिक अगले तीन से चार दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन इलाके के अधिकतर हिस्से, दक्षिण बंगाल की खाड़ी, पूरा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के बचे हुए हिस्से और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.

27 मई को हो सकती है मानसून की एंट्री

मौसम विभाग का अनुमान है कि जिस तरह की परिस्थितियां बन रही है उसके मुताबिक इस बार अपनी तय अवधि 1 जून से पहले ही मानसून की भारत में एंट्री हो सकती है. प्राथमिक वर्षा प्रणाली के मुताबिक मानसून की भारत में 27 मई एंट्री हो सकती है. 27 मई को केरल में मानसून की एंट्री हो सकती है. आईएमडी के आंकड़े के मुताबिक अगर मानसून उम्मीद के अनुरूप केरल पहुंचता है तो 2009 के बाद से भारतीय भूमि पर इसका समय से पूर्व आगमन होगा. 2009 में मानसून 23 मई को शुरू हुआ था.

मानसून की अवधि

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आम तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून की एक जून तक केरल में एंट्री हो जाती है. आठ जुलाई तक यह  पूरे देश में फैल जाता है. 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू हो जाता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है.

अल नीनो की संभावना नहीं- मौसम विभाग

भारत में इस बार अल नीनो की असर नहीं होगा. अप्रैल महीने में ही आईएमडी ने 2025 के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जताया था. साथ ही आईएमडी ने अल नीनो की संभावना को खारिज कर दिया था. अल नीनो के असर के कारण भारत में कम बारिश होती है. जिसका सीधा असर किसानों और पैदावार पर दिखाई देता है.

क्या है अल नीनो?

अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जो तब होती है जब पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के पास समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है. यह गर्म पानी वायुमंडल को गर्म करता है, जिससे नमी युक्त हवा ऊपर उठती है और तूफान में बदल जाती है. इसके कारण भारत में भी सामान्य से कम बारिश होती है. 

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