Operation Sindoor: पहलगाम हमले का बदला भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर ले लिया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंप पर हुए सैन्य कार्रवाई की जानकारी देते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर वोमिका सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने सटीक कार्रवाई करते हुए आतंकी ठिकानों को तबाह किया. सैन्य कार्रवाई में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि इससे आम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हो. भारतीय सेना ने सटीक लक्ष्य साधकर चुनिंदा भवन और संगठनों के ठिकानों को नष्ट करने का काम किया. हालांकि सेना की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ऑपरेशन सिंदूर में शामिल लड़ाकू विमान और प्रयोग किए गए हथियारों की जानकारी नहीं दी गयी. हालांकि खबरों के मुताबिक पाकिस्तानी ठिकानों को तबाह करने के लिए लंबी दूरी के क्रूज मिसाइल स्कैल्प और हैमर स्मार्ट बम के प्रयोग की बात कही जा रही है.
दोनों हथियार फ्रांस निर्मित है और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह करने में इसका प्रयोग किया गया है. जानकारों का कहना है कि भारतीय वायु सेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमानों के जरिए स्कैल्प और हैमर बम का प्रयोग कर आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया. ऐसी खबरें हैं कि हमले के लिए राफेल को मिग-29 और सुखोई ने मदद की. साथ ही पाकिस्तानी एयर डिफेंस को चकमा देने के लिए सर्विलांस एयरक्राफ्ट और ड्रोन का भी उपयोग किया गया. निगरानी के लिए नौसेना की बोइंग कंपनी की पी-8 विमान का उपयोग किया गया ताकि हमले वाले जगह की सटीक मैपिंग हो सके. इस विमानों का उपयोग चीन के साथ गलवान हिंसा के बाद उपजे तनाव के दौरान भी किया गया था.
किन हथियारों का सेना ने किया प्रयोग
फ्रांस ने स्कैल्प और हैमर का निर्माण राफेल लड़ाकू विमान के लिए किया है. फ्रांस से खरीदे गए 36 लड़ाकू विमान से तैयार दो स्क्वाड्रन अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात है. नौसेना के लिए हाल में 26 राफेल विमान खरीदने का समझौता हुआ है. पाकिस्तान के ठिकानों पर सटीक हमला करने के लिए स्कैल्प मिसाइल का प्रयोग किया गया है. स्कैल्प को फ्रांस में लॉग रेंज ऑटोनोमस क्रूज मिसाइल सिस्टम कहा जाता है, जबकि ब्रिटेन में इसे स्टॉर्म शैडो के नाम से जाना जाता है. इस मिसाइल का वजन 1300 किलोग्राम है और यह 250 किलोमीटर तक 450 किलोग्राम का विस्फोटक ले जाने में सक्षम है. मिसाइल की खासियत यह है कि यह कम ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है.
यह फायर एंड फॉरगेट पर आधारित है. एक बार हमले की जगह निर्धारित होने के बाद यह मिसाइल सटीकता से टारगेट पर हमला करती है. इसका प्रयोग कमांड, कंट्रोल, संचार केंद्र, एयरफील्ड, बंदरगाह, बिजली संयंत्र, हथियार डिपो को नष्ट करने में किया जाता है. वहीं हैमर बम ठिकानों पर सटीक हमला करता है. यह 70 किलोमीटर के टारगेट पर निशाना साधने में सक्षम है. इसके कई वर्जन है और इसका प्रयोग हवाई लड़ाई के साथ दुश्मन के घर के अंदर सटीक हमला करने के लिए प्रयोग किया जाता है. भारतीय वायु सेना तेजस लड़ाकू विमान में भी हैमर को लगाने का काम कर रही है. यूक्रेन ने रूस के साथ युद्ध में स्कैल्प और हैमर का प्रयोग किया है.