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युद्ध सायरन की पहचान कैसे करें? जानिए आवाज, पैटर्न और अलर्ट का फर्क |Mock Drill



Mock Drill: भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगातार बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने नागरिक सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर 7 मई को देश के कई हिस्सों में युद्ध सायरन बजाकर मॉक ड्रिल की जा रही है. इसका उद्देश्य नागरिकों को संभावित युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना और सायरन की पहचान करवाना है.

मुंबई के दादर स्थित एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल में आज सायरन बजाकर तैयारियों का परीक्षण किया गया. वहीं श्रीनगर में डल झील के आसपास सुरक्षा एजेंसियों ने मॉक ड्रिल की रूपरेखा तैयार की. गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में यह मॉक ड्रिल की जाएगी.

सायरन बजाने के पीछे की मंशा

युद्ध या हवाई हमले जैसे हालात में चेतावनी देने के लिए युद्ध सायरन बजाया जाता है. यह सायरन आम तौर पर 120 से 140 डेसिबल तक की तेज आवाज पैदा करता है, जो 2 से 5 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता है. इसका उद्देश्य हमले से पहले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की चेतावनी देना होता है.

सायरन सुनते ही क्या करें?

  • घबराएं नहीं, तुरंत पास के सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ें.
  • खुले स्थानों से हटकर इमारतों या शेल्टर में चले जाएं.
  • टीवी, रेडियो या सरकारी अलर्ट सिस्टम से अपडेट लेते रहें.
  • अफवाहों पर ध्यान न दें, केवल प्रशासन की जानकारी पर विश्वास करें.

यह मॉक ड्रिल 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे नागरिक सुरक्षा संगठन की तैयारियों का आकलन किया जा सके और आम जनता को युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार किया जा सके.

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