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लौट आया दुश्मनों का काल! भारत ने लिए फिर से तैयार हुआ ये हेलिकॉप्टर |Pahalgam Terror Attack



Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ी तनातनी के बीच एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय थलसेना और वायुसेना के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ‘ध्रुव’ को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी है. यह फैसला डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमेटी (DIC) की जांच रिपोर्ट और सिफारिशों के आधार पर लिया गया है.

जनवरी 2025 में भारतीय तटरक्षक बल का एक ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके बाद सभी ALH हेलीकॉप्टरों की उड़ान पर रोक लगा दी गई थी. चार महीने तक ग्राउंडेड रहने के बाद अब थलसेना और वायुसेना को इन हेलीकॉप्टरों के संचालन की इजाज़त मिल गई है. हालांकि नौसेना और तटरक्षक बल के ALH हेलीकॉप्टर अब भी उड़ान नहीं भरेंगे.

सेना में 75 ध्रुव हेलीकॉप्टर अटैक रोल में तैनात

भारतीय थलसेना के पास कुल 145 ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें से लगभग 75 को अटैक रोल में बदला जा चुका है. इन्हें सैनिकों और सैन्य साजो-सामान के ट्रांसपोर्ट के अलावा रणनीतिक अभियानों में भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं वायुसेना के पास भी लगभग 70 ALH हेलीकॉप्टर हैं, जो सुरक्षा कारणों से जनवरी से ग्राउंडेड थे.

पिछले हादसे जो बने थे चिंता का कारण

  • ALH हेलीकॉप्टरों की विश्वसनीयता पर सवाल तब उठने लगे थे जब हाल के वर्षों में इनके कई गंभीर हादसे सामने आए:
  • जनवरी 2025: तटरक्षक बल का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त.
  • अक्टूबर 2024: बिहार में राहत कार्य में जुटा वायुसेना का ALH इंजन फेल होने से नदी में गिरा.
  • सितंबर 2024: कोस्ट गार्ड का हेलीकॉप्टर अरब सागर में क्रैश.
  • मई 2023: जम्मू में सेना का ध्रुव हादसे का शिकार, तीन लोग घायल.
  • मार्च 2023: मुंबई तट और कोच्चि में नौसेना व कोस्ट गार्ड के हेलीकॉप्टर हादसे.
  • अक्टूबर 2022: अरुणाचल में ‘रुद्र’ क्रैश, 5 जवान शहीद.
  • अगस्त 2021: पठानकोट में रणजीत सागर डैम पर क्रैश, दोनों पायलटों की मौत.

सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है यह हेलीकॉप्टर

ध्रुव हेलीकॉप्टर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक अहम रणनीतिक संसाधन हैं. इनकी बहु-भूमिकाओं में उपयोग की क्षमता और देश में ही निर्माण इन्हें आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए भी महत्वपूर्ण बनाता है. उड़ान की अनुमति मिलने के बाद अब सेना इनका उपयोग फिर से उच्च स्तरीय अभियानों में कर सकेगी.