Mayor Election: दिल्ली की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद सियासी समीकरण पूरी तरह बदल चुका है. दिल्ली की सत्ता पर भले ही वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी को प्रचंड जनादेश मिला, लेकिन वर्ष 2017 में हुए नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी स्थानीय निकाय के चुनाव में हरा नहीं पायी. इसके बाद वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में आप एक बार फिर ऐतिहासिक सफलता हासिल करने में कामयाब रही. ऐसा लगा कि वर्ष 2022 में होने वाले नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत मिलेगी. नगर निगम की सत्ता पर पिछले 15 साल से काबिज भाजपा को भले ही आम आदमी पार्टी ने बेदखल कर दिया, लेकिन भाजपा नगर निगम के चुनाव में मजबूत वापसी करने में कामयाब रही.
आम आदमी पार्टी नगर निगम में बहुमत हासिल करने के बावजूद संघर्ष करती दिखी. पिछले मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी किसी तरह मेयर का चुनाव जीतने में कामयाब रही. लेकिन दिल्ली की सत्ता से बाहर होते ही नगर निगम में आम आदमी पार्टी का प्रभाव पूरी तरह कमजोर हो गया. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेयर के चुनाव में बहुमत नहीं होने का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया. शुक्रवार को मेयर के चुनाव में भाजपा के राजा इकबाल सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे. वहीं डिप्टी मेयर के पद पर भी भाजपा के जयभगवान यादव चुनाव जीत गए.
भाजपा को करना होगा चुनौतियों का सामना
नगर निगम में भाजपा काफी मजबूत रही है. कांग्रेस के शासनकाल के दौरान भी नगर निगम पर अधिकांश समय पर भाजपा का ही कब्जा रहा. आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद भी नगर निगम में भाजपा की बादशाहत कामयाब रही. हालांकि वर्ष 2022 में नगर निगम के कामकाज में व्यापक बदलाव का भरोसा देकर आम आदमी पार्टी नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन भाजपा एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में रही. नगर निगम में सत्ता हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से व्यापक बदलाव का वादा जमीनी स्तर पर नहीं दिखा.
नगर निगम के कामकाज को लेकर भी पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन दिल्ली में कई दशक बाद लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम में एक पार्टी की सरकार बनी है. यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी. पार्टी को अवैध निर्माण, जलभराव, कूड़े की समस्या, पानी की कमी जैसी बुनियादी समस्या को दूर करना होगा.