Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार रणनीति बनाने में जुटी हुई है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाने का फैसला लिया गया. इस फैसले के बाद गुरुवार को भी उच्च-स्तरीय बैठकों का दौर जारी रहा. गृह मंत्रालय में रॉ, आईबी और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भावी रणनीति पर मंथन किया गया. इस बैठक में गृह सचिव गोविंद मोहन, आईबी निदेशक तपन डेका, रॉ प्रमुख रवि सिन्हा के अलावा वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. जानकारों का कहना है कि इस बैठक में हमले के पीछे साजिश में शामिल लोगों की पहचान को सामने लाने और भावी रणनीति पर मंथन किया गया.
विदेशी राजनयिकों को दी जानकारी
वहीं दूसरी ओर विदेश मंत्रालय में भी एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में जर्मनी, जापान, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन सहित 20 देशों के राजनयिकों को पहलगाम हमले की विस्तृत जानकारी दी गयी. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विदेशी राजनयिकों को पहलगाम हमले और इसमें पाकिस्तान की भूमिका का ब्यौरा दिया. देर शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ मुलाकात कर पहलगाम हमले के बाद संभावित सुरक्षा चुनौतियों की जानकारी दी. जानकारों का कहना है कि सरकार इस हमले के बाद कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है और इसलिए सरकार राष्ट्रपति से लेकर विदेशी राजनयिकों को देश की सुरक्षा चिंता से अवगत कराने का काम कर रही है. वहीं शुक्रवार को सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी पहलगाम में घटनास्थल का दौरा कर सुरक्षा स्थिति का जायजा लेंगे.
सिंधु जल संधि रोकने के क्रियान्वयन पर बनेगी रणनीति
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने वर्ष 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला लिया है. इस फैसले के लिए क्रियान्वयन के लिए गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में एक अहम बैठक का आयोजन किए जाने की उम्मीद है. इस बैठक में पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को कम करने के उपायों पर चर्चा होगी. पाकिस्तान में इन नदियों के कारण 80 फीसदी कृषि का काम होता है. आर्थिक लिहाज से देखें, तो सिंधु संधि का पाकिस्तान की जीडीपी में 20 फीसदी से अधिक योगदान है और साथ ही शहरों में जलापूर्ति में भी इसका अहम योगदान है.
अगर पाकिस्तान को सिंधु समझौते के तहत पानी नहीं मिलेगा तो उसकी कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इसके कारण पाकिस्तान के दो बिजली संयंत्र के बंद होने का भी खतरा पैदा हो जायेगा. वैसे नदियों के प्रवाह को रोकना आसान नहीं है. जानकारों का कहना है कि पानी का प्रवाह रोकने के लिए या तो पानी के स्टोरेज की सुविधा बनानी होगी या फिर नदियों के प्रवाह को मोड़ना होगा. दोनों काम आसान नहीं है और इसे तत्काल पूरा करना संभव नहीं है. क्योंकि इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए लाखों करोड़ रुपये का निवेश करना होगा, हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण सहित कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा. देखने वाली बात होगी कि भारत इस मामले में क्या कदम उठाता है. गुरुवार को होने वाली बैठक में इन सभी मुद्दों पर विचार किए जाने की संभावना है