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विकसित राष्ट्र बनने के लिए सैन्य तौर पर सशक्त होना जरूरी



Defense: मौजूदा समय में राष्ट्रीय सुरक्षा काफी अहम हो गया है. भारत राष्ट्रीय न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा इकोसिस्टम में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाले देश के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है. आने वाले समय में भारत न केवल एक विकसित देश के रूप में उभरेगा, बल्कि सैन्य शक्ति के मामले में भी दुनिया में देश प्रमुख ताकत के तौर पर उभरेगा. गुरुवार को रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए स्वदेशीकरण, इनोवेशन और वैश्विक नेतृत्व पर काम कर करना होगा.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र का पुनरुद्धार और सुदृढ़ीकरण सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है. सरकार की पहली और सबसे बड़ी चुनौती इस मानसिकता को बदलना है कि देश अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल आयात पर निर्भर रहेगा. भारत आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और एक रक्षा औद्योगिक परिसर बनाएगा, जो न केवल भारत की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि रक्षा निर्यात की संभावनाओं को भी मजबूत करेगा.

रक्षा मंत्री ने कहा कि देश का रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ रहा है, यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को लचीला बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. मेक इन इंडिया कार्यक्रम न केवल देश के रक्षा उत्पादन को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त और अनुकूल बनाने की क्षमता भी रखता है. 

भविष्य में होने वाले युद्ध होंगे भयावह

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का मकसद संघर्ष को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि रक्षा क्षमता का विकास शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए करना है. शांति तभी संभव है, जब हम सशक्त बने. युद्ध के बदलते तौर-तरीके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध अधिक हिंसक और अप्रत्याशित होंगे. साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से नए युद्धक्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं और इसके साथ ही पूरी दुनिया में एक ‘कथानक और धारणा’ का युद्ध भी लड़ा जा रहा है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र क्षमता निर्माण और निरंतर सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है. इसके तहत 200 साल से अधिक पुरानी आयुध निर्माणियों का निगमीकरण एक साहसिक कदम उठाया गया.

मौजूदा समय में आयुध कंपनियों के प्रदर्शन में व्यापक सुधार आया है. रक्षा मंत्री ने कहा कि सर्विसेज की सूची में शामिल रक्षा उपकरणों, हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों का निर्माण देश में करने की कोशिश हो रही है. सरकार ने रक्षा बजट का 75 फीसदी हिस्सा घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए आरक्षित कर रखा है. भारत में रक्षा उत्पादन वर्ष 2014 में 40000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.