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मिशन दक्षिण को लेकर भाजपा की तैयारी हुई तेज


BJP: केंद्र में भाजपा तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही. कई राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों की सरकार है. भाजपा ऐसे राज्यों में भी सरकार बनाने में कामयाब रही, जहां उसका पूर्व में जनाधार नहीं था. त्रिपुरा, ओडिशा जैसे राज्यों में भाजपा मजबूत दलों को हराकर सरकार बनाने में कामयाब रही. पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर खुद को स्थापित किया. लेकिन तमाम राजनीतिक उपलब्धियों के बावजूद दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर अन्य राज्यों में भाजपा खुद को स्थापित करने में विफल रही है.

दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा मजबूत स्थिति में हैं और राज्य की सत्ता पर काबिज हो चुकी है. तेलंगाना में भी संसदीय चुनाव में भाजपा ने अच्छी सफलता हासिल की, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी पार्टी उतनी मजबूत नहीं है कि राज्य की सत्ता पर काबिज हो सके. आंध्र प्रदेश में टीडीपी के सहयोग से भाजपा सरकार में शामिल है. वहीं केरल और तमिलनाडु में भाजपा तमाम कोशिशों के बाद भी सियासी तौर पर मजबूत नहीं हो सकी है. 

दक्षिण में छोटे दलों के साथ गठबंधन की दिशा में जुटी

अगले साल केरल और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं और इन राज्यों में अपनी पैठ बनाने के लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. तमिलनाडु में हाल के वर्षों में भाजपा का जनाधार बढ़ा है, लेकिन डीएमके को सत्ता से बेदखल करने के लिए पार्टी को अभी सहयोगी दलों का साथ लेना जरूरी है. इस कड़ी में तमिलनाडु में भाजपा, एआईएडीएमके और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन को नयी दिशा दे रही है. तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन के लिए प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की जगह नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की गयी है.

तमिलनाडु में भाजपा को पहचान दिलाने में अन्नामलाई का अहम योगदान रहा है. इसी तरह केरल में वाम और कांग्रेस गठबंधन को चुनौती देने के लिए भाजपा छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन की दिशा में आगे बढ़ रही है. इसके लिए केरल में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. पार्टी केरल में वाम दल और कांग्रेस के खिलाफ व्यापक जनसंपर्क अभियान चला रही है.

दक्षिण भारत क्यों है भाजपा के लिए अहम

उत्तर और पूर्वी भारत के अधिकांश राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों की सरकार है. लेकिन दक्षिण के किसी भी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है. दक्षिण भारत में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच ही मुकाबला होता रहा है. केरल में कांग्रेस और वामदल से जुड़े दलों के बीच सरकार की अदला-बदली होती रही है. वहीं तमिलनाडु में डीएमके और एआईएडीएमके बीच मुख्य मुकाबला होता रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके की ताकत कम हुई है. वहीं आंध्र प्रदेश की राजनीति दो क्षेत्रीय दलों के बीच सिमटी हुई है. पहले यहां कांग्रेस और टीडीपी के बीच मुख्य मुकाबला होता था. तेलंगाना में कांग्रेस, बीआरएस और भाजपा प्रमुख ताकत हैं. लेकिन भाजपा की पकड़ पूरे राज्य में नहीं है. सिर्फ कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंदी है. भाजपा की कोशिश खुद को दक्षिण भारत में मजबूत करने की है ताकि लंबे समय तक केंद्र की सत्ता पर काबिज रह सके.

भाजपा को विकल्प के तौर पर पेश करने की रणनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रणनीति बनाने में जुट गए हैं. भाजपा की कोशिश पहले इन राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाने की है ताकि आने वाले समय में भाजपा को विकल्प के तौर पर पेश किया जा सके. इसके लिए ही अमित शाह को पूरा फोकस अगले साल होने वाले चुनावी राज्यों पर टिक गया है. भाजपा जातिगत समीकरण के साथ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने में जुट गयी है. पार्टी आने वाले समय की रणनीति के तहत दक्षिण के राज्यों पर विशेष फोकस कर रही है. पार्टी का मानना है कि दक्षिण में मजबूत उपस्थिति से भाजपा आने वाले कई वर्षों तक केंद्र की सत्ता में बनी रह सकती है. 

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