Defense: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार की ओर से हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. रक्षा उपकरणों का स्वदेशी निर्माण से लेकर विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित कर रक्षा उपकरणों का निर्माण देश में किया जा रहा है. इस कड़ी में रक्षा मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुईट और एयरक्राफ्ट मॉडिफिकेशन किट और उसे एमआई-17 हेलीकॉप्टर में लगाने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(बीईएल) के साथ समझौता किया है. इस समझौते से वायु सेना की ताकत में इजाफा होगा और लगभग 2385.36 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
समझौते के तहत इन उपकरणों का निर्माण देश में ही करना होगा. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में यह समझौता किया गया. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुईट लगाने से हेलीकॉप्टर कठिन मौसम में भी चलने में सक्षम होगा. इसके अधिकांश उपकरण देशी कंपनियों से खरीदे जायेंगे. समझौते से देश के इलेक्ट्रॉनिक्स और उससे जुड़े उद्योग, छोटे उद्योगों को फायदा होगा. समझौते का मकसद देश में इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुईट के निर्माण को बढ़ावा देना है ताकि मेक इन इंडिया को गति मिल सके.
टैंकों का भी हो रहा है आधुनिकीकरण
युद्ध में ड्रोन के बढ़ते प्रयोग और उसके खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना अपने टैंकों को ड्रोन हमले से बचाने के लिए काउंटर अनमैंड एयरक्राफ्ट सिस्टम खरीदने पर विचार कर रही है. फिलहाल सेना ऐसा 75 सिस्टम खरीदेगी, जिसमें टी-90 और टी-72 टैंक पर लगाया जायेगा. इसे 36 महीने में लगाने की योजना है. मौजूदा समय में सेना के पास 1650 टी-90 और 2400 टी-72 टैंक है. टैंक के लिए ड्रोन की मौजूदगी बढ़ने से यह खतरा काफी बढ़ गया है. इसलिए टैंकों को एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस करना जरूरी है.
रक्षा मंत्रालय मेक इन इंडिया के तहत सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ बातचीत कर रहा है. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय सेना के लिए अन्य जरूरी हथियारों की भी खरीद की योजना बना रहा है. आने वाले समय में बड़े रक्षा समझौता होने की उम्मीद है.