Cabinet: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के दूसरे चरण को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्र प्रायोजित इस योजना पर होने वाला पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. यह सुरक्षित, संरक्षित और जीवंत भूमि सीमाओं का विकास करेगा और वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा. यह कार्यक्रम वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के पहले चरण के तहत कवर की गयी उत्तरी सीमा के अलावा अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं (आईएलबीएस) से सटे ब्लॉकों में स्थित गांवों के व्यापक विकास में मदद करेगा. इस योजना पर 6839 करोड़ रुपये के खर्च होगा.
बिहार सहित अन्य राज्यों में होगा लागू
यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के चुनिंदा रणनीतिक गांवों में वित्त वर्ष 2028-29 तक लागू किया जाएगा. इस कार्यक्रम का मकसद समृद्ध और सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने और सीमावर्ती आबादी को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर पैदा करना है. यह आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
क्या होगी विशेष पहल
यह कार्यक्रम गांव या गांवों के समूह के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास, मूल्य श्रृंखला विकास (सहकारी समितियों, एसएचजी आदि के माध्यम से), सीमा आउटरीच गतिविधि, स्मार्ट कक्षाओं, शिक्षा बुनियादी ढांचे, पर्यटन सर्किट के विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध और टिकाऊ आजीविका के अवसर सर्जित करने के लिए लिए फंड देगा. इन गांवों के लिए ऑल वेदर रोड ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत पहले से स्वीकृत पीएमजीएसवाई-4 के तहत किया जाएगा. कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीमावर्ती क्षेत्रों में योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए योजनाबद्ध दिशानिर्देशों में उपयुक्त छूट पर विचार करेगी. इस कार्यक्रम का मकसद योजना मानदंडों के अनुसार पहचाने गए गांवों में मौजूद व्यक्तिगत और घरेलू स्तर की कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करना है.
स्थानीय संस्कृति और विरासत को मिलेगा बढावा
इस कार्यक्रम में मेले और त्यौहार, जागरूकता शिविर, राष्ट्रीय दिवसों का उत्सव, मंत्रियों, केंद्र और राज्य, केंद्र शासित प्रदेश सरकार के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा नियमित दौरे और ऐसे गांवों में रात्रि विश्राम जैसी गतिविधियों का आयोजन करके इन गांवों में जीवंतता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इससे पर्यटन की संभावना बढ़ेगी और इन गांवों की स्थानीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा मिलेगा. परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तकनीक का प्रयोग होगा और पीएम गति शक्ति जैसे सूचना डेटाबेस का उपयोग किया जाएगा.